Sunday 1 September 2019

31 Aug 2019, Page No.9

एमसीडी में प्रमोशन की धांधली का 7 साल बाद पर्दाफाश 
- तीनों निगमों के लिए लगभग दो सौ कर्मचारियों-अधिकारियों का किया गया था प्रमोशन 
- डीओपीटी और डीपीसी की गाइडलाइन को दिखाया ठेंगा 
- विजिलेंस जांच के बाग प्रमोशन रद्द, सैलरी रिकवरी के आदेश 

नई दिल्ली: एमसीडी में प्रमोशन में धांधली का बड़ा ही सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस धांधली का खामियाजा सिर्फ नॉर्थ एमसीडी को ही नहीं बल्कि साउथ और ईस्ट एमसीडी को सालों तक भुगतना पड़ा है। साथ ही इसकी एवज में करोड़ों रूपयों की बर्बादी भी हुई। जिससे आज दिल्ली की तीनों ही एमसीडी आर्थिक कंगाली के कगार पर पहुंच चुकी है। बहरहाल, सात सालों के लंबे अंतराल के बाद अब विजिलेंस डिपार्टमेंट की जांच के बाद खानापूर्ति करते हुए आगे की जांच के लिए फाइल चीफ विजिलेंस ऑफिसर (सीवीओ) को भेजी गई है। साथ ही साल 2012 के दौरान प्रमोट किए गए सभी कर्मचारियों-अधिकारियों की बढ़ी हुई सैलरी की रिकवरी के आदेश जारी कर दिए गए हैं। लेकिन यहां पर सवाल उठना लाजिमी है कि जब इतने बड़े पैमाने पर प्रमोशन की फाइल की अप्रूवल के लिए कमिश्नर को भेजी गई तो क्या तत्कालीन कमिश्नर ने बिना देखे ही साइन किए? क्या कारण था कि प्रमोशन पाने वाले अधिकारियों को ही कमेटी का मेंबर भी बनाया गया? शिकायत के बावजूद भी विजिलेंस डिपार्टमेंट ने इसकी जांच में सात सालों का लंबा समय क्यों लिया? क्या अब इस मामले में नॉर्थ एमसीडी एफआईआर दर्ज कराएगी? 
डीपीसी ने तोड़े सारे नियम-कानून 
दरअसल, 19 अप्रैल 2012 को अकाउंट/फाइनेंस डिपार्टमेंट से जुड़े अधिकारियों के प्रमोशन के लिए डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) की मीटिंग हुई। इस मीटिंग में सभी नियम कायदों की धज्जियां उड़ाकर रख दी गई। लगभग दो सौ कर्मचारियों-अधिकारियों के प्रमोशन के लिए की गई इस मीटिंग में अनुसूचित जाति/जनजाति के अधिकारियों को प्रमोशन से बाहर रखा गया, प्रमोशन से संबंधित नियमों को ताक पर रखा गया और न ही डीपीसी की गाइडलाइन को ही माना गया। यहां तक कि डीओपीटी द्वारा जारी गाइडलाइन को भी पूरी तरह से खारिज कर दिया गया। हैरान करने वाली बात यह है कि डीपीसी के गठन में ही संवैधानिक नियमों का उल्लंघन कर प्रमोशन पाने वाले अधिकारी को ही कमेटी का मेंबर भी बना दिया गया। यहां पर सवाल खड़ा होता है कि जब एक अधिकारी का नाम प्रमोशन पाने वालों की लिस्ट में शामिल था तो उसे किस आधार पर कमेटी का मेंबर बना दिया गया। 
रिकवरी के लिए आदेश 
नॉर्थ एमसीडी के सेंट्रल इस्टैब्लिशमेंट डिपार्टमेंट (सीईडी) ने ऑर्डर जारी कर 19 अप्रैल 2012 को प्रमोट हुए सभी अधिकारियों की बढ़ी हुई सैलरी की रिकवरी के आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही 15 दिन के अंदर संबंधित हेड ऑफ डिपार्टमेंट्स से कंप्लाएंस रिपोर्ट मांगी गई है। इस भ्रष्टाचार और अनियमितता की जानकारी तीनों निगमों के कमिश्नर, अडिश्नल कमिनश्नर, सीवीओ समेत तमाम संबंधित आला आधिकारियों को भेज दी गई है। सीईडी के मुताबिक विजिलेंस डिपार्टमेंट की जांच में पाया गया है कि अकाउंट विभाग से जुड़े अधिकारियों को दिए गए प्रमोशन से एमसीडी को भारी नुकसान हुआ है। हालांकि सीईडी ने अब विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर 19 अप्रैल 2012 को किए गए सभी प्रमोशनों को रद्द कर दिया है। 
एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला रहे हैं तो दूसरी ओर से भाजपा शासित एमसीडी भ्रष्टाचार का अड्डा बनती जा रही है। बहरहाल इस गंभीर चौंकाने वाले प्रकरण ने एमसीडी में चल रहे प्रशासन की एक बार फिर कलई खोल दी है जहां सभी नियम-कायदों को धता बताते हुए भ्रष्ट तरीकों को अपनाकर अपने चहेते अधिकारियों को प्रमोशन दिया जा रहा है। तीनों निगमों के लिए प्रमोशन करने वाली नोडल एजेंसी नॉर्थ एमसीडी के लिए यह बेहद ही शर्म की बात है कि इस गैरकानूनी प्रमोशन को रद्द करने में 7 साल का लंबा समय लगा। सूत्रों की मानें तो इस अवधि के बीच कुछ अधिकारी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। ऐसे में निगम इन अधिकारियों से इस भारी धनराशि की रिकवरी कैसे करेगा, इस सवाल के जवाब पर अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है।

- राजेश रंजन सिंह 
साभार: पंजाब केसरी

27 Aug 2019, Page No.8