Sunday 3 February 2019

बहाने ढूंढता है...


बहाने ढूंढता है..❤

मिलने के बहाने ढूंढता है
कुछ कहने के फसाने ढूंढता है
बातें तो खूब होती हैं मगर
इजहार के तराने ढूंढता है
वो नादां है या मुझसे ही सुनना चाहती है
इसके भी ईशारे ढूंढता है
कैसे सुलझेगी ये पहेली
दिन-रात इसके तरीके ढूंढता है

©राजेश रंजन सिंह

NGT: पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर कमेटी रखेगी नजर

31 Jan 2019, Page No.4


- एनजीटी ने सीपीसीबी, डीएसआईआईडीसी, डीपीसीसी, डीडीए व अन्य एजेंसियों की बनाई कमेटी
- कमेटी की वेबसाइट पर आम लोग भी दे सकेंगे फीडबैक

दिल्ली में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर नजर रखने के लिए एक ओवरसाइट कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी का गठन एनजीटी ने किया है। यह कमेटी पर्यावरण नियमों के उल्लंघन संबंधी समस्या से निपटने के लिए टाइम बाउंड एक्शन प्लान बनाएगी। कमेटी का गठन दिल्ली हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस प्रभा रानी की अध्यक्षता में किया गया है। इस कमेटी में सीपीसीबी, डीएसआईआईडीसी, डीपीसीसी, डीडीए, संबंधित एरिया डीएम और नगर निगमों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। एनजीटी ने इस कमेटी के लिए दस दिनों के अंदर अपने प्रतिनिधियों को नामित करने का निर्देश दिया है। कमेटी की नोडल एजेंसी डीपीसीसी को बनाया गया है। 
ओवरसाइट कमेटी की बकायदा एक अपनी वेबसाइट होगी। जहां आम लोग भी पर्यावरण के बारे में जागरूक करने तथा रिहायशी इलाके में गैरकानूनी रूप से चलाये जा रहे उद्योगों पर फीडबैक दे सकेंगे। कमेटी लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए इंफॉर्मेशन और एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन का कार्यक्रम तैयार करेगी। इस कार्यक्रम में शैक्षिक, धार्मिक और सामाजिक संगठनों की मदद ली जाएगी। ओवरसाइट कमेटी वायु और जल प्रदूषण को कम करने और इसे नुकसान पहुंचाने वाले उद्योगों को बंद करने की सिफारिश भी कर सकती है। कमेटी उद्योगों से पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन कर मुआवजा तय करेगी।


दरअसल, एनजीटी ने पाया कि मास्टर प्लान 2021 का उल्लंघन करते हुए दिल्ली के रिहायशी इलाकों में 51 हजार 837 उद्योग चल रहे हैं। इनमें डाई, केमिकल, रबड़, एस्बेस्टस, प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल, ऑटो स्पेयर पाट्र्स, आयरन स्मेल्टिंग और सीएफएल लाइट जैसे उद्योग शामिल हैं। इइनके कारण दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। इन पर लगाम कसने के लिए ही ओवर साइट कमेटी बनाई गई है। 

वेस्ट-साउथ दिल्ली में ज्यादा उल्लंघन
जानकारी के मुताबिक पर्यावरण नियमों का सबसे ज्यादा उल्लंघन वेस्ट और साउथ दिल्ली के इलाकों में किया जा रहा है। करोलबाग, पटेल नगर, आनंद पर्वत, रोहतक रोड, राजेंद्र नगर, ओल्ड राजेंद्र नगर, जीटी रोड, बदरपुर और विश्वास नगर में पर्यावरण नियमों की ज्यादा शिकायतें हैं। इसके अलावा भोगल, जाफराबाद, मोती नगर, कीर्ति नगर, रमेश नगर, जंगपुरा, नजफगढ़ और मानसरोवर, झील, शास्त्री नगर, शाहदरा और सेंट्रल दिल्ली में सदर बाजार, चांदनी चौक, मलकागंज, लालकुंआ में भी जमकर उल्लंघन किया जा रहा है। इन इलाकों में चल रहे व्यवसायों को लेकर एनजीटी को पत्र व ई-मेल के जरिए भी खूब शिकायतें भेजी रही हैं। जिन पर एनजीटी ने भी गंभीरता बरतते हुए संबंधित एजेंसियों को जांच करने के निर्देश जारी किए हैं।  

- राजेश रंजन सिंह
साभार: पंजाब केसरी


कुछ और भी सांसें लेने पर...

29 Jan 2019

बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां..
पानीपत सेक्टर-25 में अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन

कुछ और भी सांसें लेने पर, मजबूर सा मैं हो जाता हूं, जब इतने बड़े जंगल में किसी इंसान की खुशबू आती है। कतील शिफाई साहब की इन पंक्तियों के साथ अखिल भारतीय मुशायरे का आगाज हुआ। दरअसल, पानीपत सेक्टर-25 स्थित पाइट संस्कृति स्कूल में हरियाणा उर्दू अकादमी और जिला प्रशासन द्वारा गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन किया गया था। मुशायरे में नामी-गिरामी शायरों ने शिरकत की।
अंग्रेजी दौर में उर्दू के शायरों को संजोकर उन्हें मंच प्रदान करने के लिए वरिष्ठ पत्रकार एवं हरियाणा उर्दू अकादमी के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। मुशायरे में उपस्थित सभी शायरों ने भी डॉ. त्रिखा के इन कार्यों की सराहना की। शायरों ने कहा कि डॉ. त्रिखा के नेतृत्व में हमें अपनापन सा महसूस होता है। साथ ही मुशायरे में इस बात का जिक्र भी हुआ कि हमारी सभ्यता और जड़ें इन्हीं संस्कृति से होकर गुजरती हैं, जिन्हें हमें ऐसे कार्यक्रमों से सींचकर रखना है।   

दर्शकों की मौजूदगी में जाने-माने शायर सिराज पैकर ने हाजिर करते हुए कहा कि मैं शिकार हूं कब से, जौंअदाई का, लम्हा-लम्हा डसता है आपकी जुदाई का। तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच उन्होंने पेश किया कि हर एक मछली सुनहरी दिखाई देती है, ये किसने पांव को पानी में डाल रखा है। इस शेर पर लोगों ने इतनी तालियां बजाईं कि शायर साहब को भी कहना पड़ा कि मेरा शेर आप तक पहुंच गया। मेहनत कबूल हो गई।
मुशायरे में आए तैश पोठवारी ने कहा कि मेरा कत्ल न कर पाए तो मेरे मुरीद हो गए, देखो अब तो दुश्मन भी मेरे करीब हो गए। मैं काफिर न बनूं तो क्या करूं, मेरा खुदा तो खुद बुत बनके बैठा है।
पोठवारी ने आगे पेश करते हुए कहा कि मेरे आने पर उसका महफिल से उठना लाजिमी था, मेरे आने पर उसका नजर बचाके जाना लाजिमी था, वो जो तौल रहा था महफिल में हर किसी की हैसियत, मेरे सामने दो टके का आदमी था। 
पीना है तो पहले सलीका सीख, शराब को यूं बदनाम न कर, इश्क और रंज चीज है पर्दे की, ये तमाशा सरेआम न कर। इन पंक्तियों को महफिल में पेश कर उन्होंने महफिल लूट ली।
अपनी हास्य कविताओं और हाजिरजवाबी के लिए मशहूर योगेंद्र मुदगिल ने महफिल में आए लोगों को लय में तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। चूंकि मुशायरे का मजमून बेटियां थी। लिहाजा मुदगिल साहब ने भी बेटियां पर अपनी कविता सुना मुशायरे के मजमून को सटीक ठहराया और लोगों को मंत्रमुगध कर दिया। उन्होंने सुनाया-
मासरी के प्यार की हैंडाली बेटियां,
पावन जैसे पूजा की हो थाली बेटियां
बेटे हैं निराले तो निराली बेटियां
दुर्गा कहीं तो लक्ष्मी बेटियां
मंगल के गीत और बधाई गाओ जी
दादी और बुआ संग नाचो गाओ जी
बेटी के जनम पर थालियां बजाओं जी
बेटियां बचाओ बेटियां पढ़ाओ जी।

वहीं, सोनिया नागपाल ने देशभक्ति से ओतप्रोत कविता सुनाई। उन्होंने सुनाया कि:
सरहदों पर जवानों की कतारें...
कब उसूल बदलोगे...
सपना सही सलामत दे
गिले लाख हो मगर...
कुछ खोया करे...