Tuesday 1 May 2018

अंबेडकर और उनकी यादों का म्यूजियम


दिल्ली ही नहीं बल्कि देश में यह पहली ऐसी इमारत है जिसे एक खुली किताब (ज्ञान के द्वारा सशक्तिकरण) के रूप में ढाला गया है। यह इमारत है अंबेडकर म्यूजियम जोकि संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की यादों को संजोने के लिए बनाया गया है। दिल्ली की आइकनिक बिल्डिंग के तौर पर बनाया गया है यह अंबेडकर म्यूजियम। यहां पर आप बाबा साहेब को लाइव भाषण देने के साथ-साथ उनसे संबंधित हर चीज को देख ही नहीं बल्कि सुन भी सकते हैं, महसूस कर सकते हैं। संविधान को लाइव पढ़ भी सकते हैं। यहां आकर आप बाबा साहेब के जमाने को बखूबी फील कर सकते हैं। बता दें कि 26 अलीपुर रोड स्थित भवन में बाबा साहेब अंबेडकर ने 1 नवंबर 1951 से लेकर अपने महापरिनिर्वाण 6 दिसंबर 1956 तक निवास किया था। दरअसल, यह संपत्ति राजस्थान के सिरोही के महाराज की थी। बाबा साहेब के 1951 में केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा देने के बाद उन्हें यहां पर रहने के लिए आमंत्रित किया गया था। अब यह भारत सरकार की संपत्ति है। अब यहीं पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने डॉ. अंबेडकर नेशनल मैमोरियल तैयार किया है। इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मार्च 2016 को रखी थी और इसका उद्घाटन भी मोदी ने ही 14 अप्रैल 2018 को किया।

अंबेडकर लाइव
इस म्यूजियम की खासियत इसका जीवंत होना है। यहां हर चीज इस सलीके से रखी गई है कि देखने वाले को बनावटी न लगे बल्कि ऐसा महसूस हो कि उसके सामने ही सारी घटनाएं घटित हो रही हैं। यहां आकर आप अंबेडकर का लाइव भाषण भी सुन सकते हैं। अंबेडकर के इस रोबोटिक पुतले (एनिमेट्रॉनिक्स) को अमेरिका से एक करोड़ की लागत से लाया गया है। म्यूजियम में डिजीटल इंडिया की झलक साफ देखी जा सकती है। यहां कुल 22 प्रोजेक्टर लगाए गए हैं।

पढ़ें डिजीटल संविधान 
इस म्यूजियम में संविधान की मूल प्रतियों को रखा गया है। साथ ही संविधान के एक-एक पन्ने का डिजीटल पेज भी तैयार किया गया जिसे दर्शक बखूबी पढ़ व सुन भी सकते हैं। वहीं, संविधान के मुख्य पेजों को बड़े आकार में डिस्प्ले किया गया है। इसके अलावा यहां पर सदस्यों को संविधान सौंपते व हस्ताक्षर करते हुए पुतले भी लगाए गए हैं। यहां पर संकल्प भूमि के नीचे अंबेडकर को बैठे दर्शाया गया है। कहा जाता है कि अंबेडकर पहले बड़ौदा के महाराज सायाजी राव गायकवाड के यहां काम करते थे। लेकिन उनके पास घर नहीं था और एक दिन उन्हें निकाल दिया गया। जिसके बाद वह एक पेड़ के नीचे बैठे और संकल्प लिया कि वह देश से जात-पात का अंतर खत्म करेंगे।

पंच तीर्थ और अंबेडकर म्यूजियम
जानकारी के मुताबिक यह पूरा प्लान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का था। उन्होंने ही अंंबेडकर से जुड़े पंच तीर्थों को एक म्यूजियम में समाहित करने की परिकल्पना को मूर्त रूप देने की पहल की थी। बता दें कि अंबेडकर की जन्मभूमि  (मऊ, मध्य प्रदेश), शिक्षा भूमि (लंदन), दीक्षा भूमि (नागपुर, महाराष्ट्र), महापरिनिर्वाण भूमि (अलीपुर रोड़, दिल्ली) और चैत्य भूमि (दादर, महाराष्ट्र जहां अंतिम संस्कार हुआ) को पंच तीर्थ नाम प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था। इस म्यूजियम को विकसित करने का मकसद भी यही था कि पांचों तीर्थों का सुख एक जगह मिले।

म्यूजियम के डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि इस म्यूजियम में अंबेडकर के अध्ययन कक्ष को भी डिस्प्ले किया गया है। यहां पर किताबों का ऑरिजिनल कलेक्शन रखा गया है। एक मेडिटेशन हॉल भी तैयार किया गया है जिसमें वियतनामी मार्बल की मूर्ति को जयपुर के आर्टिस्ट ने महात्मा बुद्ध की प्रतिमा में ढाला है। इसके अलावा यहां आप ओबामा, जवाहर लाल नेहरू और मोदी के उन बयानों को सुन सकते हैं जो अंबेडकर के विषय में दिए गए थे। 

-राजेश रंजन सिंह