Tuesday 30 January 2018

नहीं मिली दवाई, मरीज ने की मंत्रालय से शिकायत

सरकार के लाख दावों के बाद भी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं हो पा रही हैं। यही वजह है कि अस्पतालों में मरीजों को बुनियादी सुविधाएं भी नसीब नहीं हो रही हैं। ताजा मामले में एक मरीज को अस्पताल से दवा न मिलने की शिकायत सीधे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से करनी पड़ी है। मामला रोहिणी स्थित ईएसआई डिस्पेंसरी का है। जहां आए दिन मरीजों को दवा न मिलने की शिकायत करनी पड़ रही है। ऐसे में प्रेम नाथ नाम के एक मरीज ने थक-हारकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से ही मामले की शिकायत कर दी है। शिकायकर्ता प्रेम नाथ का कहना है कि ईएसआई डिस्पेंसरी में दवा के लिए लंबी कतार लगी रहती है। लंबी कतार होने के बावजूद भी डिस्पेंसरी में एक ही खिडक़ी खोली जाती है। जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है। इससे पहले उन्होंने डिस्पेंसरी इंचार्ज से भी पूरे मामले की शिकायत की लेकिन समस्या को दूर करने की बजाय स्टाफ की कमी का हवाला दिया गया।

लैंडफिल साइट व वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट मामले में एनजीटी ने बुलाई बैठक

चीफ सेक्रेटरी, तीनों निगम के कमिश्नर, डीडीए, सीपीसीबी, डीएसआईआईडीसी के अधिकारी होंगे शामिल
डीडीए को एक विस्तृत प्रस्ताव पेश करने का निर्देश
वैकल्पिक लैंडफिल साइट व वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट लगाने को लेकर एनजीटी ने संबंधित एजेंसियों की एक बैठक बुलाई है। एनजीटी के एक्टिंग चेयरपर्सन जस्टिस यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राजधानी को एक नए लैंडफिल साइट की सख्त जरूरत है लेकिन दिल्ली सरकार, डीडीए और तीनों निगमों में आपसी तालमेल नहीं हैं। इसी को लेकर आगामी 3 फरवरी को एक बैठक बुलाई गई है। इसमें दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी, तीनों निगमों के कमिश्नर, दिल्ली कैंट बोर्ड के सीईओ, दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रीयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कोरपोरेशन (डीएसआईआईडीसी) के मैनेजिंग डायरेक्टर, डीडीए के वाइस चेयरमैन, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के चेयरमैन और नेशनल थर्मल पावर कोरपोरेशन (एनटीपीसी) के मैनेजिंग डायरेक्टर को तलब किया गया है। दिल्ली सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि डीडीए, एनटीपीसी, डीएसआईआईडी, चीफ सेक्रेटरी ने इस विषय पर विचार-विमर्श किया है। इस दौरान यह तय किया गया कि उपराज्यपाल के समक्ष डीडीए एक विस्तृत प्रस्ताव पेश करेगा। इस पर बेंच ने कहा कि इसे एक सप्ताह के भीतर तैयार करें।
इससे पहले एनजीटी ने साफ तौर पर कहा था कि किसी अन्य प्रोजेक्ट पर काम करने से पहले डीडीए नई लैंडफिल साइट के लिए जगह निर्धारित करे। बेंच ने जगह निर्धारित नहीं होने तक डीडीए, डीएसआईआईडीसी समेत दूसरी लोकल एजेंसियों को किसी अन्य प्रोजेक्ट पर काम करने पर रोक लगा दी थी।
तत्कालीन एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच ने दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी को डीडीए, दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रीयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डीएसआईआईडीसी), एमसीडी व संबंधित दूसरी एजेंसियों के साथ मिटिंग करने का निर्देश दिया था। साथ ही दो सप्ताह के भीतर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के लिए  वैकल्पिक साइट की रिपोर्ट के साथ तलब किया था। वेस्ट मैनेजमेंट के लिए लैंडफिल साइटों की पहचान करने के मामले में तेजी लाने के लिए एनजीटी ने चीफ सेक्रेटरी और उपराज्यपाल को निर्देश जारी किया था। बेंच ने सभी पक्षों को नरेला-बवाना प्लांट व एनटीपीसी के बदरपुर प्लांट की क्षमता बढ़ाने के लिए भी निर्देशित किया था। एनजीटी ने कहा था कि यह दुर्भागय है कि राजधानी इतनी गंभीर समस्या से जूझ रही है और एजेंसियां आरोप-प्रत्यारोप में उलझकर गैर जिम्मेदराना रवैया दिखा रही हैं।

जनकपुरी इलाके में चल रही हैं अवैध तौर पर डाइंग फैक्ट्रियां

20 फरवरी को होगी सुनवाई
जनकपुरी इलाके में अवैध तौर पर डाइंग की फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं। आवायी क्षेत्रों में चलाए जा रहे ऐसे उद्योगों पर पाबंदी को लेकर एक आरडब्ल्यूए ने एनजीटी ने गुहार लगाई है। चाणक्य प्लेस रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसियशन ने एनजीटी के समक्ष याचिका दाखिल कर इन फैक्ट्रियों को बंद कराने की मांग की है। अब इस मामले में 20 फरवरी को सुनवाई होगी।
बता दें कि चाणक्य प्लेस रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसियशन ने जनकपुरी, सीतापुरी, और दूसरी आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर एनजीटी में गत वर्ष ही याचिका दाखिल की। इस याचिका में एसोसियसन की ओर से जानकारी दी गई कि जनकपुरी, सीतापुरी, और दूसरी कॉलोनियों में अवैध तौर पर बेरोक-टोक तरीके से डाइ करने की फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं। इस बाबत आरडब्ल्यूए ने संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस संबंध में शिकायत दी लेकिन कहीं से भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हालांकि ऐसे ही एक मामले एनजीटी ने गत वर्ष जुलाई माह के दौरान अवैध तौर पर चल रहे उद्योगों की लिस्ट तलब की थी। एनजीटी ने उन उद्योगों की भी लिस्ट मांगी थी जो बिना अनुमति धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं और वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान याचिककर्ता की ओर से स्पष्ट तौर पर जानकारी दी गई थी कि अधिकारी प्रदूषण फैलाने वाली व अवैध तौैर पर चलने वाली फैक्ट्रियों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) व नॉर्थ एमसीडी को ज्वाइंट इंस्पेक्शन कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश जारी किया था। नॉर्थ एमसीडी के तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर ने भी निगम की हाउस की बैठक में बताया था कि इन पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के क्षेत्राधिकार में ही आता है।

Monday 29 January 2018

बीटिंग रिट्रीट तब और अब


हर साल दिल्ली पुलिस, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ समेत दूसरे पैरा मिलिट्री फोर्सेज के बैंड भी अपनी प्रस्तुति देते हैं। और लोगों को देशभक्ति के भावों से सराबोर कर देते हैं। बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम पहली बार साल 1952 में आयोजित किया गया था। इस दौरान दो चरणों में कार्यक्रम कायोजन किया गया था। जानकारी के मुताबिक एक समारोह रीगल सिनेमा के सामने मैदान में और दूसरा लालकिले के मैदान में हुआ था। इसकी खासियत यह थी कि  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद सेना के बैंड ने उनकी पसंद को ही चुना। सेना के बैंड ने महात्मा गांधी के मनपसंद गीत अबाइड विद मी की धुन बजाई थी। और यह धुन अब तक हर साल बजाई जाती है। जबकि साल 1953 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में लोक नृत्य और आतिशबाजी को शामिल किया गया था। जानकार बताते हैं कि उस साल रामलीला मैदान आतिशबाजी का गवाह बना था। साल 1953 में ही नॉर्थ ईस्ट के त्रिपुरा, असम और तत्कालीन नेफा (अरुणाचल प्रदेश) के आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने भी परेड में हिस्सा लिया था।  गणतंत्र दिवस परेड और बीटींग रिट्रीट समारोह देखने के लिए अब टिकट लेने की परंपरा है। इस परंपरा की शुरूआत साल 1962 में शुरू हुई थी। 1962 से ही गणतंत्र दिवस परेड की लंबाई को भी बढ़ाकर छह मील कर दिया गया था। लेकिन 1962 की भारत-चीन लड़ाई के कारण 1963 के परेड का आकार छोटा कर दिया गया था। बता दें कि बीटिंग रिट्रीट का मतलब होता है कि इस कार्यक्रम के साथ ही सेना अपने अपने बंकरों को लौट जाएगी।




Sunday 28 January 2018

रंग-बिरंगे परिधानों में दिखे कुत्ते

पंजाबी बाग में एक अनोखे डॉग शो का आयोजन किया। इसमें पशु प्रेमियों के साथ-साथ पशु चिकित्सक भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। डॉग शो में दिल्ली-एनसीआर के 307 भागीदार थे। जिसे लोगों ने सराहा। इस शो में देसी कुत्तों समेत प्रत्येक ब्रीड को पप्पी और वयस्क श्रेणी में अलग-अलग दिखाया गया। बड़े और विकलांग कुत्तों के लिए विशेष श्रेणी थी। बेस्ट वेल ड्रेस्ड प्रतियोगिता मेंं ड्रेस्ड कुतों को
dog show
रंग-बिरंगे परिधानों में देखा गया। ज्यादातर दर्शकों ने इसमें खूब दिलचस्पी ली। मौके पर कुत्ता प्रेमियों को मुफ्त पर्चे बांटे गए और उन्हें पालतू जानवरों के रख-रखाव के संबंध में आवश्यक जानकारी दी गई। साथ ही लावारिश भारतीय कुत्तों को गोद लेने की महत्ता भी बताई गई।   इसके लिए विभिन्न प्रकार के बैनर प्रदर्शित किए गए। मौके पर मौजूद पशु चिकित्सकों ने उनसे बातचीत के दौरान कुत्ता प्रेमियों को इस बारे में जानकारी दी। शो में 83 देसी कुत्तों ने हिस्सा लिया जिनमें 10 शारीरिक रूप से विकलांग थे जबकि 17 बूढ़े और बीमार कुत्ते थे। इसका आयोजन कैनिस वेलफेयर पेट क्लब (रजि.) की ओर से किया गया था। यह 10वां डॉ शो था।

जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में दिल के मरीजों को लगाया जा सकेगा स्टेंट

दिल के मरीजों को स्टेंट लगवाने के लिए अब एम्स और जीबी पंत जैसे अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इसकी सुविधा अब पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में मिल सकेगी। इस सुविधा की शुरूआत शनिवार से हो गई है। इसका शुभारंभ दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इसका उद्घाटन किया। लैब के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन व स्थानीय विधायक राजेश ऋषि मौजूद व अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर मंहेदी रत्ता मौजूद रहेे। इससे अब इसी अस्पताल में दिल के मरीजों को स्टेंट लगाया जा सकेगा।
Janakpuri Super Speciality Hospital
दिल्ली सरकार का यह दूसरा अस्पताल है जहां पर हार्ट में ब्लॉकेज होने पर स्टेंट के जरिए इलाज संभव है। स्टेंट सिर्फ 22 हजार रुपये में उपलब्ध है।  अस्पताल में कार्डियोलॉजी लैब बनकर तैयार हो चुका है। अब तक 70 मरीजों को स्टेंट लगाया जा चुका है। दिल्ली सरकार के इस अस्पताल में स्टेंटिंग की सुविधा शुरू होने से दिल्ली सहित पूरे एनसीआर के मरीजों को फायदा होगा। इससे पहले दिल्ली सरकार के सिर्फ जीबी पंत अस्पताल में ही स्टेंटिंग की जाती थी। यह सरकार का एकमात्र ऐसा अस्पताल था, जहां पर हार्ट के मरीजों में स्टेंट लगाया जाता था। दिल्ली में सबसे ज्यादा स्टेंट लगाने का काम जीबी पंत में होता है। स्टेंटिंग के लिए एम्स से भी ज्यादा मरीजों का प्रेशर इस अस्पताल पर होता है। स्टेंट की कैपिंग लागू होने से पहले ही सिर्फ 22 हजार में स्टेंट उपलब्ध कराया जाता रहा है।
जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बहुत पहले बन कर तैयार हो चुका था। लेकिन यहां पर इलाज शुरू नहीं हो पा रहा था। डॉक्टर और स्टाफ की कमी की वजह से सालों यह अस्पताल ऐसे ही खड़ा रहा। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद इस अस्पताल में दिल की बीमारी का इलाज शुरू हुआ। पहले ओपीडी में मरीजों को देखा जा रहा था। ब्लॉकेज होने पर स्टेंट के लिए मरीज को दूसरे अस्पताल भेजा जाता था। अब इसी अस्पताल में स्टेंट के लिए कार्डियोलॉजी लैब बनाया गया है। डॉक्टरों की नियुक्ति का काम चल रहा है। इसी तरह इस अस्पताल में गेस्ट्रोलॉजी यूनिट में मरीजों की पेट से संबंधित जांच के लिए इंडोस्कोपी लैब बनाया गया है।

Saturday 27 January 2018

बिहार की माटी और पुरस्कार


File Photo
बिहार का नाम हमेशा से ही देश की उपलब्धियों में शामिल रहा है। इसका गवाह इतिहास भी है। बिहार का गौरवशाली इतिहास आर्यभट्ट से लेकर सिखो के दशवें गुरु गोविद सिंह से जुड़ा है। महान गणितग्य और खगोल वैज्ञानिक आर्यभट जिन्होंने दुनिया को शुन्य (जीरो) दिया, बिहार की ही पावन भूमि पर जन्में। सम्राट अशोक, अजातशत्रु, बिम्बिसार समेत यह लिस्ट बहुत लंबी है जिन्होंने बिहार की धरती पर जन्म लिया और देश का नाम दुनिया में रोशन किया। आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रति बनने वाले राजेंद्र प्रसाद का जन्म भी बिहार में ही हुआ। बिहार के गौरवशाली इतिहास में अब शारदा सिन्हा और मानस बिहारी वर्मा का नाम भी जुड़ गया है। इस साल इन दोनों ही विभुतियों को देश के सर्वश्रेष्ठ सम्मान से सम्मानित किया जाए। इससे पहले भी बिहार के मधुबनी जिला के जितवारपुर गांव की 75 वर्षीया बौआ देवी को पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जा चुका है। वहीं, मिथिला पेंटिंग के गढ़ माने जाने वाले जितवारपुर गांव की ही दो महान शिल्पी जगदंबा देवी और सीता देवी को भी पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
Sharda Sinha, File Photo
भोजपुरी संगीत को एख नई पहचान दिलाने वाली मशहूर गायिका शारदा सिन्हा को पद्मभूषण और वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा को पद्मश्री के लिए चुना गया है। शारदा सिन्हा सलमान खान अभिनित मैने प्यार किया मूवी में कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया व हम आपके हैं कौन मूवी में बाबुल जो तुमने सिखाया सरीखे गाने गा चुकी हैं। उन्होंने गजलों की दुनिया में भी नाम कमाया। उनका गाया किसी की याद को सीने से लगाए हम लगाए हुए, काफी प्रसिद्ध है। वहीं, वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा बिहार के  दरभंगा के रहने वाले हैं। वर्मा इसरो की तेजस परियोजना से जुड़े हुए हैं। यह वही तेजस है जिसका आधिकारिक नाम तेजस 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था।
Manas Bihari Verma, File Photo
हालांकि इस बार 85 लोगों को पद्म सम्मान के लिए चयनित किया गया है। तीन लोगों को पद्मविभूषण, नौ लोगों को पद्मभूषण और 73 लोगों को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। देश को दूसरी बार वल्र्ड कप का खिताव और टी-20 चैंपियन बनाने वाले क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को पद्म भूषण के लिए चुना गया है।

यादों के झरोखे से : कितना बदल गया गणतंत्र दिवस


फाइल फोटो 
हम 69वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पहले गणतंत्र दिवस की बात करें तो आप अचंभित होंगे। बहुत से लोगों को पहला गणतंत्र याद भी होगा, लेकिन अधिकतर इसके बारे में जरूर जानना चाहेंगे। भारत ने 68 साल पहले 26 जनवरी, 1950 को अपना पहला गणतंत्र दिवस मनाया था,जब इंडोनेशिया के राष्‍ट्रपति सुकर्णो इस समारोह के अतिथि बने थे और तब दक्षिण-पूर्वी एशिया में उनकी खास पहचान थी। इस बार आसियान देशों के नेताओं को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया। यहां यह बता दें कि पहला गणतंत्र दिवस उस स्थान पर मनाया गया जहां आज नेशलन स्टेडियम सिर उठाए खड़ा है। पुरानी तस्वीरों में परेड के साथ पुराने किले की दीवारें भी दिखाई दे रही हैं। इस गणतंत्र दिवस के मौके पर केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने ट्विटर पर पहले गणतंत्र की कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं।
देश जब अपना पहला गणतंत्र दिवस मना रहा था तो उसे ब्रिटिश उपनिवेश से आजाद हुए चंद साल ही हुए थे। उस वक्‍त की जनभावनाएं बिल्‍कुल अलग थीं। कई मायनों में यह अलग था। यह जानना दिलचस्‍प होगा कि भारत के पहले गणतंत्र दिवस की परेड कैसी रही थी?
पुराने किले के बैकग्राउंड में एम्‍फीथियरेटर में तब सैनिकों ने रोंगटे खड़े कर देने वाला मार्च किया था। बिना किसी सुरक्षा कवर के विजय चौक पर सवारी करते हुए भारत के पहले राष्‍ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद इस ऐतिहासिक दिन का गवाह बने थे। कुछ तस्वीरें उस वक्‍त के परेड को लेकर काफी कुछ बयां कर देता है। इसमें भारत के पहले गणतंत्र दिवस की चुनिंदा झलकियां हैं।
पहले गणतंत्र से जुड़ी कुछ और भी बातें हैं, जिन्‍हें जानना दिलचस्‍प होगा। रिकॉड्र्स के मुताबिक, परेड में तीनों सेनाओं के 3000 अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने हिस्‍सा लिया था। उस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए लगभग 15,000 लोग इक_ा हुए थे। दिल्‍ली की सड़कों से होकर राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का काफिला निकला तो 'भारत माता की जय' के नारे लगते रहे।
फाइल फोटो 
यह काफिला जब तक इरविन एम्‍फीथियेटर तक पहुंचा, हर गली से जयकारे लगते रहे। यह जगह अब मेजर ध्‍यानचंद नेशनल स्‍टेडियम के नाम से जाना जाता है।
वर्ष 1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद से ही यह समारोहदेश की विविधता में एकता की अनूठी विरासत और आधुनिकता के सामंजस्‍य को प्रदर्शित करता आया है। साल-दर-साल भारत की उपलब्धियों का प्रदर्शन भी इस समारोह में होता है। देश की सुरक्षा और इसकी आन-बान-शान के लिए बलिदान को हमेशा तत्‍पर फौज की क्षमता का भव्‍य प्रदर्शन भी इसमें होता रहा है। राजपथ पर होने वाले परेड जहां भारत की सैन्‍यक्षमता को प्रदर्शित करते हैं, वहीं झांकियां एकता में पिरोई विविधताओं की झलक पेश करती हैं।
फाइल फोटो 
इस समारोह के लिए भारत हर बार मुख्‍य अतिथि के तौर पर किसी न किसी देश की सरकार के प्रमुख को आमंत्रित करता रहा है। अब तक भारत ने दो से अधिक देशों के नेताओं को कभी अतिथि के तौर पर आमंत्रित नहीं किया, लेकिन इस बार भारत ने परंपराओं से हटते हुए 10 देशों के नेताओं को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्‍य अतिथियों के तौर पर आमंत्रित किया है,जो आसियान देशों के नेता हैं।

साभार: सुरेंद्र पंडित (पंजाब केसरी )

डीयू बुद्धिस्ट डिपार्टंमेंट में प्रश्न पत्र लीक

परीक्षा से एक दिन पहले ही छात्रों को मिल गया प्रश्न पत्र

यूनिवर्सिटी प्रशासन से की गई मामले की शिकायत

जुलाई माह के दौरान भी एमफिल, पीएच.डी का पर्चा हुआ था लीक 



यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में परीक्षा के दौरान पर्चा लीक होने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। देश के प्रतिष्ठित दिल्ली यूनिवर्सिटी में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां परीक्षा से एक दिन पहले ही होने वाली परीक्षा का पर्चा लीक हो गया। परीक्षा में पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न सोशल मीडिया में वायरल हो गए। अब पूरे मामले की शिकायत यूनिवर्सिटी प्रशासन से की गई है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के नामी प्रोफेसरो ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही कहा है कि इससे यूनिवर्सिटी की साख पर बट्टा लग रहा है और यहां से पढ़ाई करने वाले छात्रों के करियर पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
पूरा मामला दिल्ली यूनिवर्सिटी के बुद्धिस्ट डिपार्टंमेंट का है। जानकारी के मुताबिक गुरूवार को बुद्धिस्ट एम.ए. (प्रथम वर्ष) की पाली विषय की पहली परीक्षा थी। लेकिन इसके पंद्रह नंबरों के पांच प्रश्न बुधवार शाम को ही लीक हो गए थे। ये प्रश्न छात्रों के पास व्हाट्सएप, हाइक जैसे सोशल मीडिया के जरिए पहुंचे। गुरूवार को जब पाली विषय का प्रश्न पत्र छात्रों को मिला तो पांचों प्रश्न हू-ब-हू मिले। इसके बाद हंगामा मच गया और दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन के होश उड़ गए। दिल्ली यूनिवर्सिटी के बुद्धिस्ट डिपार्टमेंट के ही छात्र नेता सचिन चौधरी ने पूरे मामले की लिखित शिकायत डीन ऑफ एगजामिनेशन, डीयू रजिस्ट्रार, डीयू प्रॉक्टर, डीन फैकल्टी ऑफ आट्र्स समेत यूनिवर्सिटी प्रशासन के आला अधिकारियों से की है। शिकायत में पाली विषय की परीक्षा को रद्द कर दोबारा कराने की मांग गई है। मामले को दबाने के लिए अब डीयू प्रशासन इस गंभीर मसले की लिपापोती में जुट गया है।
पूरे मामले पर डूटा कार्यकारिणी सदस्य डॉ. सुरेंद्र कुमार ने कहा कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब बुद्धिस्ट डिपार्टेमेंट में पर्चा लीक हुआ है। इससे पहले भी इसी साल जुलाई माह के दौरान एमफिल, पीएच.डी का पर्चा लीक हो चुका है। इसका भी पर्चा रद्द कराकर दोबारा परीक्षा आयोजित की गई थी। बुद्धिस्ट विभाग के हेड ने नियमों की अवमानना करते हुए आरक्षित श्रेणी के छात्रों को मैरिट के आधार पर सामान्य वर्ग में दाखिला नहीं दिया। जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के 16 छात्र एम. फिल व पीएचडी दाखिले में मैरिट के आधार पर सामान्य वर्ग में दाखिला पाने के हकदार थे। इस मामले को लेकर हाल ही में डीन ऑफ आट्र्स ने शो-कॉज नोटिस जारी किया था। कुमार का कहना है कि वर्तमान बुद्धिस्ट डिपार्टेमेंट के हेड के.टी.एस राव के कार्यकाल में लगातार गड़बडिय़ां सामने आ रही हैं। लिहाजा डीयू की साख बचाने और छात्रों के भविष्य के मद्देनजर हेड को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि हेड को लेकर तीन कमेटियां बन चुकी हैं और दो बार पर्चें लीक हो चुके हैं। बावजूद इसके वीसी इन पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
बुद्धिस्ट डिपार्टेमेंट के हेड के.टी.एस. राव से जब हमने पूरे मामले में उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने पर्चा लीक होने की खबर को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से अफवाह है। पर्चा लीक होना संभव ही नहीं है। पढ़ाने वाले शिक्षक ही प्रश्न पत्र तैयार करते हैं, वही सील करते हैं और परीक्षा के समय वहीं शिक्षक बंाटते हैं। प्रश्न पत्र किसी के हाथ नहीं लग सकता।

साभार: पंजाब केसरी

पानी की गुणवत्ता मामले में सिविक बॉडीज के हेड तलब


जल बोर्ड, एनडीएमसी, दिल्ली कैंट बोर्ड और सीजीडब्ल्यूए को आवश्यक आंकड़ा उपलब्ध कराने पर लगाई फटकार

एनजीटी ने दिल्ली की विभिन्न सिविक बॉडीज की खिंचाई की है। यह खिंचाई एनजीटी द्वारा कई बार दिए गए निर्देशों के बाद भी पीने के पानी की गुणवत्ता पर आंकड़ा नहीं सौंपने के लिए की गई है। साथ ही एनजीटी ने पूरे मामले में संबंधित अधिकारियों के रूख को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। सुनवाई के दौरान एनजीटी एक्टिंग चेयरपर्सन जस्टिस यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली बेंच ने संबंधित सिविक बॉडीज के हेड को समन जारी किया है। इसके तहत दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ, दिल्ली कैंट बोर्ड के सीईओ, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) के अध्यक्ष और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के कमिश्नर को एनजीटी के समक्ष 31 जनवरी को तलब किया गया है। बेंच ने कहा कि जल बोर्ड, एनडीएमसी, दिल्ली कैंट बोर्ड और सीजीडब्ल्यूए को आवश्यक आंकड़ा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। लेकिन अभी तक न तो आंकडे एकत्र किए गए और न ही उनका विश्लेषण किया गया है। मामले में अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी। सुनवाई के दौरान एनजीटी को जानकारी दी गई कि इस मामले एनजीटी के 10 दिसंबर, 2015 को दिए गए निर्णय का अनुपालन करते हुए दो बैठकें आयोजित की गई हैं। बता दें कि दिल्ली के घरों में आपूर्ति किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता को लेकर एनजीटी ने संज्ञान लिया था। इस मामले को लेकर एनजीटी ने इंवायरमेंट सेक्रेटरी, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सीपीसीसी), दिल्ली जल बोर्ड व तीनों निगमों के अधिकारियों को लेकर एक कमेटी गठित की थी। इसके तहत एक विस्तृृत रिपोर्ट मांगी गई थी।

Thursday 25 January 2018

चीन को रास नहीं आस रही भारत-आसियान दोस्ती

गणतंत्र दिवस से पहले चीन ने डोकलाम को लेकर दिया बयान

चीन और आसियान देशों के बीच है 36 का आंकड़ा

भारत अपना 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके को और बेहतर बनाने और एशिया के साथ-साथ दुनिया में अपनी छाप छोडऩे के लिए भारत ने आसियान देशों को निमंत्रित किया है। ऐसे में 26 जनवरी को आसियान के दस देशों के राष्ट्राध्यक्ष विशिष्ट अतिथि के तौर पर राजपथ से आधुनिक हिंदुस्तान की झलक देखेंगे। शायद यही वजह है कि चीन ऐसे समय में जानबूझकर भारत के विरूद्ध बयानबाजी कर रहा है। ऐसे ही एक बयान में चीन को एक बार फिर से डोकलाम की याद आ गई और चीन ने उसे अपना हिस्सा बता दिया। चीन की सेना की ओर से 17 जनवरी को दिए डोकलाम को विवादित क्षेत्र करार देने संबंधी सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान की आलोचना की गई है। चीनी सेना ने कहा कि डोकलाम गतिरोध जैसी घटनाओं से बचने के लिए 73 दिन के गतिरोध से भारत को सबक लेना चाहिए। लेकिन एक बार फिर से चीन यह भूल गया कि पीछे चीनी सैनिकों को हटना पड़ा था। इसमें भारत की कुटनीतिक जीत हुई थी।
इससे पहले भी जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू भारत दौरे पर आए थे। उस समय भी चीन की ओर से भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान को लेकर बयानबाजी की गई थी। बता दें कि रावत ने कहा था कि डोकलाम में चीनी सैनिक अभी भी मौजूद हैं। लेकिन सैनिकों की संख्या अब पहले के मुकाबले कम है। यह बयान सुनते ही चीन ने भी जनरल के बयान को भारतीय कूटनीति की अपरिपक्वता करार दे दिया था। साथ ही यह भी कह दिया था कि भारत इसी तरह उकसाने वाला बयान देता रहा तो चीनी सेना उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।
कहा जा रहा है कि चीनी सेना की ओर से जारी यह बयान यूं ही नहीं आया है। दरअसल, चीन को भारत और आसियान देशों की दोस्ती रास नहीं आ रही है। जिसकी खुन्नस निकालने के लिए ही चीनी सेना की ओर से ऐसा बयान आया है। बता दें कि गणतंत्र दिवस समारोह 2018 के लिए भारत की ओर से आसियान (एसोसियशन ऑफ साउथ ईस्ट नेशंस) देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया गया है। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब गणतंत्र दिवस समारोह पर एक साथ दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है। कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, ब्रुनेई, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष भारत आ भी चुके हंै।

आसियान देशों से चीन का है 36 का आंकड़ा
एशिया में कई मामलों को लेकर आसियान देशों का चीन से 36 का आंकड़ा है। यही वजह है कि आसियान देशों की चीन के साथ नहीं बनती। साउथ चाइना सी को लेकर आसियान के कुछ देशों का चीन से विवाद है।चीन इस पर अपना अधिकार जताता रहा है। जबकि यह जलक्षेत्र दुनिया भर में समुद्री कारोबार के लिए अहम है। भारत इस इलाके में खुली आवाजाही और कारोबार का समर्थन करता है। ऐसे में एशिया में चीन का दबदबा कम करने को लेकर भी भारत के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं। यहां सबसे खास बात यह है कि भारत का किसी भी आसियान देश के साथ सीमा को लेकर कोई विवाद नहीं है।

Bawana Industrial Area & Fire Safety

25 Jan 2018, Page No.10, Punjab Kesari

आग से बचाव के लिए सिर्फ 1 करोड़

बवाना औद्योगिक क्षेत्र बसाया लेकिन नहीं दी सुविधाएं 

दिल्ली सरकार समेत दूसरी एजेंसियां औद्योगिक क्षेत्र को लेकर नहीं हैं गंभीर

आग से बचाव के लिए डीएसआईआईडीसी ने सिर्फ 1 करोड़ किया था प्रस्तावित

कहने को तो दिल्ली सरकार ने बवाना औद्योगिक क्षेत्र को योजनाबद्ध तरीके से बसाया था। लेकिन यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं की खुलेआम अनदेखी की गई। जिसका नतीजा हाल ही में लगी आग की घटना के रूप में सामने आया। अब सवाल उठने लगे हैं कि सरकार ने इतने बड़े औद्योगिक क्षेत्र को बसाने से पहले स्वास्थ्य सेवाओं और आग से निपटने की स्थिति से बचने के उपायों पर गौर क्यों नहीं किया जबकि बवाना औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 16 हजार फैक्ट्रियों में लगभग एक लाख लोग काम करते हैं।

आग से बचाव के लिए 1 करोड़
दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रीयल डेवेलपमेंट कोरपोरेशन (डी.एस.आई.डी.सी.) की एक रिपोर्ट के मुताबिक बवाना औद्योगिक क्षेत्र बसाने के लिए सुविधाओं के नाम पर लगभग 700 करोड़ रूपए खर्च किए गए। इसमें सबसे ज्यादा 200 करोड़ पावर पर, रोड के लिए 162 करोड़ और पानी सप्लाई के लिए 100 करोड़ खर्च किए गए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने बड़े औद्योगिक क्षेत्र में आग से बचाव (फायर फाइटिंग) के लिए सिर्फ एक करोड़ की राशि ही प्रस्तावित की गई थी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार बवाना जैसे औद्योगिक क्षेत्र में आग से बचाव को लेकर कितनी गंभीर थी।

स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर खानापूर्ति
इतना ही नहीं, स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीरता नहीं बरती गई। सरकार ने हमेशा से ही औद्योगिक क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को दरकिनार किया है। बता दें कि बाहरी दिल्ली में सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र और महर्षि वाल्मीकि जैसे दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पताल हैं। लेकिन हमेशा ही बड़ी घटना घटने पर इन दोनों ही अस्पतालों से मरीजों को डीडीयू, अंबेडकर, सफदरजंग या एलएनजेपी जैसे अस्पतालों में रैफर कर दिया जाता है। बवाना में लगी आग की घटने के दिन कूदकर जान बचाने वाले लोगों को भी यहां पर्याप्त इलाज न मिलने पर एलएनजेपी अस्पताल रैफर कर दिया गया था। यहां के फैक्ट्री मालिकों का भी कहना है कि जब हम सरकार को टैक्स के रूप में मोटी रकम देते हैं तो यहां पर बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम क्यों नहीं किया जाता है। उनका कहना है कि शुरूआती दिनों में तो यहां पर सब कुछ ठीक था। लेकिन समय बीतने के बाद ही यहां पर सडक़, सीवरेज जैसी बुनियादी सुविधाएं भी हवा होती चली गईं। वर्तमान में यहां पर सडक़ें भी जर्जर होने लगी हैं और सीवरेज भी सफाई के अभाव में खस्ताहाल होने लगे हैं।

साभार: पंजाब केसरी
DSIIDC

Wednesday 24 January 2018

एक राष्ट्र एक चुनाव विचार विषय पर सम्मेलन


कंसेशेशन ऑफ एजुकेशन एक्सलेंस ने मुंबई में किया आयोजन
देश के 15 राज्यों के 175 प्रतिनिधियों ने की शिरकत


कंसेशेशन ऑफ एजुकेशन एक्सलेंस (सीईई) ने राष्ट्र की वर्तमान राजनीति के समकालीन विषय पर राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन किया। इसका आयोजन रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी प्रशिक्षण संस्थान, मुंबई में किया गया। इसमें देश के 15 राज्यों के 175 प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
इस सम्मेलन के दौरान चुनावों की बहुलता और इसकी चुनौतियों, एक साथ चुनाव: संकल्पना की व्यवहार्यता और निष्पादन, एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए संवैधानिक प्रावधान और एक राष्ट्र एक चुनाव के संदर्भ में वैश्विक अनुभव पर विचार-विमर्श किया गया। संपूर्ण भारत विषय पर शोध पत्र को आमंत्रित करने के लिए शिक्षा उत्कृष्टता परिसंघ (सीईई) एजुकेशन नेटवर्क पार्टनर था। अत्यधिक प्रयासों के उपरांत, क्षेत्र के विशेषज्ञों के पैनल ने शोध पत्रों का चयन किया।
इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार मुख्य अतिथि थे। आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव प्रो. वी के मल्होत्रा भी इस दौरान मौजूद रहे। रामशेव म्हाल्गी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष, राज्यसभा सांसद व आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने मुख्य अतिथियों का स्वागत किया। सीईई की ओर से इस कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर काक, शैक्षणिक निदेशक सीईई (पूर्व संस्थापक उपाध्यक्ष महामया तकनीकी विश्वविद्यालय) उपस्थित थे।
रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने एक राष्ट्र एक चुनाव के महत्व और लाभों पर प्रकाश डाला। सहस्त्रबुद्धे ने यह भी कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव नए भारत में सभी राजनीतिक सुधारों की जननी होगी। सहस्त्रबुद्धे ने अपने समापन टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रसिद्ध पंक्ति माना अन्धेरा घना है, पर दीया जलाना कहां मना है का जिक्र किया।
आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव प्रोफेसर वी के मल्होत्रा ने देश के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव के लाभों पर बल दिया क्योंकि ऐसा करने से चुनाव में जनशक्ति के बहुत समय की बचत होगी, जो चुनावों के कारण बर्बाद होता है। इसका इस्तेमाल विकास कार्य के लिए किया जा सकता है जिससें निकट भविष्य में भारत एक महाशक्ति बन कर उभर सकता है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपने महत्वपूर्ण संबोधन में अपने देश में चुनावों पर खर्च होने वाली विशाल राशि को रेखांकित करते कहा कि यदि हम एक राष्ट्र एक चुनाव को स्वीकार कर लेते हैं और यदि एक साथ चुनाव आयोजित किए जाते हैं तो हम एक देश के रूप में बहुत अधिक राशि की बचत कर सकते हैं। इस राशि को विकास और बुनियादी परियोजनाओं पर खर्च कर सकते है। राजीव कुमार ने चुनावी प्रणाली की तुलना शेयर बाजार के साथ करते हुए कहा कि यदि कोई उम्मीदवार या किसी खास पार्टी ने अच्छा काम किया है तो वह फिर से निर्वाचित हो जाता है और अगर वह अच्छा काम नहीं करता है तो फिर से निर्वाचित होने की संभावना बहुत कम होती है, जो शेयर बाजार के समान ही है। अगर किसी विशेष कंपनी के परिणाम अच्छे आते हैं तो इसकी बाजार की कीमत में वृद्धि होती है और यदि परिणाम अच्छे नहीं हैं तो कीमत गिरती है। राजीव कुमार ने कहा कि वह खुश हैं कि राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए यह एक महत्वपूर्ण विषय का चयन किया गया है और उन्होंने आशा व्यक्त किया की कि आने वाले भविष्य में एक राष्ट्र एक चुनाव वास्तविकता होगी।

लालू, कोर्ट और जेल


रजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, कोर्ट और जेल का पुराना नाता रहा है। यह कोई पहली बार नहीं है जब यादव को कोर्ट ने दोषी मानते हुए जेल की सुनाई है। बुधवार को भी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के तीसरे मामले में भी सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने दोषी ठहरा दिया है। देवघर कोषागार घोटाला मामले में पहले ही जेल की सजा काट रहे लालू प्रसाद को 5 साल की कैद तथा 5 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्र को भी 5 साल कैद और 5 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
File Photo
गौरतलब है कि चाईबासा कोषागार घोटाले में 10 जनवरी को ही बहस पूरी हो गई थी। लेकिन कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख लिया था। सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख अवैध तरीके से निकाला गया। इसी मामले में स्पेशल जस्टिस स्वर्ण शंकर प्रसाद की कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया। सुनवाई में दौरान अन्य आरोपी जगन्नाथ मिश्रा अपनी पत्नी के देहांत के कारण नहीं आ पाए।

जेल और लालू
-लालू प्रसाद 10 मार्च 1990 के दौरान पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। दूसरी बार 1995 में मुख्यमंत्री बने। 1996 में मुख्य रूप से इनका नाम सामने आया। साल 1997 में पहली बार वह न्यायिक हिरासत में रखे गए और 12 दिसंबर 1997 को रिहा हुए।
- इसी मामले में दूसरी बार वह 28 अक्टूबर 1998 को जेल पहुंचे। इस दौरान वह अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख थे। उन्हें बेऊर जेल में रखा गया था। बाद में उन्हें फिर जमानत मिल गई।
- साल 2000 में लालू ने सिर्फ एक दिन ही जेल में रहे। उन्हें एक बार फिर 28 नवंबर 2000 को गिरफ्तार किया गया।
- साल 2013 में एक बार लालू प्रसाद यादव को जेल की यात्रा करनी पड़ी थी।
- इसके बाद साल 2013 में चारा घोटाले से ही जुड़े एक मामले में 37 करोड़ रुपए के गबन के आरोप में लालू प्रसाद यादव को दोषी पाया गया। लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी।

नेताजी ने दिया था भाषण, जगह को विकसित कर भूली सरकार


आजाद हिंद ग्राम में हर साल ग्रामीण करते हैं कार्यक्रम का आयोजनरागनी व ब्लड डोनेशन कैंप का किया गया आयोजन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर भी सरकार ने उनकी सुध नहीं ली। दरअसल, नेशनल हाइवे-10 स्थित टीकरी कलां में दिल्ली पर्यटन द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की स्मृति में आजाद हिंद ग्राम विकसित किया था। लेकिन इसके बाद इसकी सुध नहीं ली गई। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहां नेताजी ने भारत में अपना अंतिम भाषण दिया था। सरकार की बेरूखी के कारण इसकी इस पर्यटन स्थल की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे साहिब सिंह वर्मा ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए ही इस स्थान को दिल्ली पर्यटन के माध्यम से विकसित कराया था। ग्रामीणों का कहना है कि राजनीतिक वजहों से बाद में आई सरकारों ने इसे तनिक भी गंभीरता से नहीं लिया। यहां तक कि इस स्थल की मरम्मत तक नहीं कराई गई। वर्तमान में संग्रहालय भी बंद हो चुका है और न ही अब नेताजी पर बनी शॉर्ट फिल्म ही दिखाई जाती है। अब इसे विवाह स्थल के रुप में दिल्ली सरकार किराए पर देती है।
file Photo: Source (CulturalIndia.net)
लेकिन ग्रामीण बोस की याद में हर साल यहां पर कार्यक्रम का आयोजन कराते हैं। इस साल भी रागनी व ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया। हालांकि गत वर्ष भी दिल्ली पर्यटन ने इसे संवारने और बोस से जुड़ी यादों को ज्यादा समृद्ध करने का फैसला किया था। कहा गया था कि इसके लिए बकायादा एक कंसलटेंट नियुक्तकर दिया गया है और आजाद हिंद ग्राम में स्मारक और न्यूजियम को नए सिरे से संवारा जाएगा। साथ ही म्यूजियम में और चीजों को संग्रहित करने के लिए देश भर से नेताजी से जुड़ी वस्तुओं, पत्रों आदि को हासिल करने के प्रयास की भी चर्चा हुई थी। लेकिन हालात जस के तस के हैं। 
आजाद हिंद ग्राम में कार्यक्र का आयोजन करते ग्रामीण

क्या है इतिहास
कहा जाता है कि आजादी की लड़ाई के समय ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने चंद साथियों के साथ टीकरी गांव आए थे और भारत में अपना अंतिम भाषण यहीं दिया था। उन्होंने टीकरी गांव के साथ-साथ आस-पास के समस्त गांव जैसे हिरण कूदना, घेवरा, नीलवाल, मुंडका, रानीखेड़ा आदि के लोगों से आजादी की लड़ाई में अपना सहयोग और बलिदान देने का वचन मांगा था और सभी गांववासियों ने सहयोग भी किया था।

नहीं है सुरक्षा और रख-रखाव
यहां ना तो सुरक्षा के इंतजाम हैं और न ही इसकी देखरेख और सफाई के लिए कर्मचारी है। औपचारिकता पूरी करने के लिए सिर्फ इक्का-दूक्का कर्मचारी रखे गए हैं। यहां उनकी मूर्ति से लेकर उनसे जुड़ी बातें दीवार पर लटके कैलेंडर पर सहेजी गई थी जो अब कहीं नजर नहीं आती हैं। 

साभार: पंजाब केसरी

एजेंसियों ने कार्रवाई की होती तो बच सकती थी जानें

एनजीटी ने भी मांगी थी ऐसे उद्योगों की लिस्ट

कुछ क्षेत्रों में अभी भी है हादसे का अंदेशा


यदि एजेंसियों ने अपनी-अपनी भूमिका का वहन किया होता तो बवाना में आग लगने की घटना ही नहीं घटती। दरअसल, ऐसे उद्योगों को लेकर एनजीटी ने भी संबंधित एजेंसियों को ज्वाइंट इंस्पेक्शन कर रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन इस मामले को लेकर किसी भी एजेंसी ने गंभीरता नहीं दिखाई और न ही किसी प्रकार की कोई कार्रवाई की।
एनजीटी ने भी गत वर्ष जुलाई माह के दौरान अवैध तौर पर चल रहे उद्योगों की लिस्ट तलब की थी। एनजीटी ने उन उद्योगों की भी लिस्ट मांगी थी जो बिना अनुमति धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं और वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान याचिककर्ता की ओर से स्पष्ट तौर पर जानकारी दी गई थी कि अधिकारी प्रदूषण फैलाने वाली व अवैध तौैर पर चलने वाली फैक्ट्रियों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) व नॉर्थ एमसीडी को ज्वाइंट इंस्पेक्शन कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश जारी किया था। नॉर्थ एमसीडी के तत्कालीन अडिशनल कमिश्नर ने भी निगम की हाउस की बैठक में बताया था कि इन पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के क्षेत्राधिकार में ही आता है।
संबंधित एसडीएम से भी ऐसे उद्योगों की लिस्ट मांगी गई थी। बावजूद इसके क्षेत्र में धड़ल्ले से चलाए जा रहे ऐसे उद्योगों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिसका कारण 17 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।  
File Photo: Bawana Fire
गौरतलब है कि बाहरी दिल्ली के कई आवासीय क्षेत्रों में अभी भी अवैध तौर पर प्लास्टिक, रबड़ आदि के गोदाम धड़ल्ले से जा रहे हैं। इन पर सख्त कार्रवाई नहीं की जा सकी है। हालांकि इस पर कार्रवाई करने की बात निगम की ओर से बीते लगभग एक साल से की जा रही है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी तक कुछ नहीं किया गया है। कृष्ण विहार, सुल्तानपुरी, पूंठ कलां कुछ ऐसे इलाके हैं जहांं बड़े पैमाने पर इस तरह की फैक्ट्रियांं चलाई जा रही हंै। इनमें से ज्यादातर डाइंग यूनिट है।

साभार: पंजाब केसरी


Tuesday 23 January 2018

टेक्नोलॉजी, ट्वीट और वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम



स्वीटजरलैंड के दावोस शहर में आयोजित वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम में टेक्नोलॉजी, ट्वीट और सायबर स्पेस जैसे शब्द सुनाई पड़े। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जमकर इन शब्दों का इस्तेमाल किया। जिसे सभी ने सराहा। अपने भाषण में मोदी ने टेक्नोलॉजी पर बोलते हुए गूगल और अमेजॉन जैसी कंपनियों का भी जिक्र किया। उन्होंने भाषण की शुरुआत में ही बता दिया कि साल 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने इस फोरम में भारत का नेतृत्व किया था। साल 1997 का दौर आज के दौर से बिल्कुल अलग है। इतना ही नहीं, चुनौतियां भी अब पहले के मुकाबले बदल गई हैं।

टेक्नोलॉजी और ट्वीट 
ट्वीटर पर सबसे ज्यादा फॉलोवर्स वाले मोदी ने कहा कि एक समय था जब ट्वीट करना मनुष्य का काम नहीं बल्कि चिडिय़ों का काम था। उन्होंने कहा कि 1997 आप इंटरनेट पर अमेजॉन शब्द ढूंढते तो आपको नदियां और घने जंगलों के बारे में सूचना मिलती थी। लेकिन आज अमेजॉन पर दुनिया की हर चीज उपलब्ध है। साथ ही मोदी ने कहा कि टेक्नोलॉजी में समय, शांति, सुरक्षा जैसी नई और गंभीर चुनौतियां हम अनुभव कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी के जोडऩे, मोडऩे और तोडऩे तीनों आयामों का बड़ा उदाहरण सोशल मीडिया के प्रयोग में देखने को मिलता है। मोदी ने वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम में दिए अपने भाषण में कहा कि डाटा बहुत बड़ी संपदा है। डाटा के ग्लोबल फ्लो से सबसे बड़े अवसर बन रहे हैं और सबसे बड़ी चुनौती भी। डाटा सहेजना भी एक बहुत गंभीर विषय बन रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि जो डाटा को काबू में रखेगा वो ही भविष्य पर अपना वर्चस्व बनाएगा।

23 Jan 2018, Page No.4, Punjab Kesari

नांगलोई में लेदर की जगह चल रहा है प्लास्टिक का धंधा


एनजीटी ने दो सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
डीएसआईआईडीसी, डीपीसीसी व नॉर्थ एमसीडी को देनी होगी रिपोर्ट 


नांगलोई इलाके में  लेदर उद्योग के लिए अलॉटेड जगह पर प्लास्टिक का कारोबार चल रहा है। इसके कारण पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हो रहा है। इस मामले को लेकर एनजीटी ने डीएसआईआईडीसी को नोटिस जारी जवाब मांगा है। साथ ही नॉर्थ एमसीडी व दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) को भी इस मामले में जवाब पेश करने का निर्देश एनजीटी ने जारी किया है। सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 19 मार्च को निर्धारित की गई है।
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एनजीटी के एक्टिंग चेयरपर्सन जस्टिस यूडी साल्वी व एक्सपर्ट मेंबर डॉ. नागिन नंदा की बेंच ने यह आदेश जारी किया है। दरअसल, एनजीटी के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी जिसमें याचिककर्ता ने आरोप लगाया था कि नांगलोई नंबर-2 इलाके में  लेदर उद्योग के लिए अलॉटेड जगह पर  अब प्लास्टिक का धंधा चल रहा है। याचिका में यह भी कहा गया कि इस क्षेत्र में प्लास्टिक ढुलाई करके प्लास्टिक से गुल्ला व भ_ियां चलाई रही हैं जिससे बच्चों व बुजुर्गों की सेहत से भारी खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे पूरे इलाके में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है।
एनजीटी में दाखिल याचिका में याचिककर्ता ने कहा है कि नांगलोई नंबर-2 इलाके में  लेदर उद्योगों के लिए बड़ी संख्या में वर्क सैंटर बनाए गए थे जिनका निर्माण डीएसआईआईडीसी ने किया था। लेकिन बाद में निगम और दूसरी एजेंसियों की की मिलीभगत का फायदा उठाकर इन छोटे वर्क सैंटरों को मिलाकर बड़े शेडों में तब्दील कर दिया गया। इन्हीं शेडों में अब प्लास्टिक ढ़ुलाई का कारोबार किया जा रहा है। इस दौरान पूरा क्षेत्र प्रदूषण की चपेट में आ जाता है।

-राजेश रंजन सिंह
साभार: पंजाब केसरी

23 Jan 2018, Page No.10, Punjab Kesari

आग की घटना रोकने के लिए निगम के पास नहीं है कोई एक्शन प्लान


निगम ने शुरु की थी प्लास्टिक, रबड़ आदि के गोदामों पर सख्त कार्रवाई की कवायद
जगह-जगह आग लगने की घटना के बाद हाउस में लाया गया था प्रस्ताव


बवाना में लगी आग की घटना ने एक बार फिर सीविक एजेंसियों की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। हालांकि पहले भी कई आग की घटनाओं के बाद निगम ने आग की वजह बनने वाले व्यापारों पर कार्रवाई की बात तो कही थी। लेकिन वोटबैंक की राजनीति के कारण इन व्यापारों पर किसी भी प्रकार की कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। यहीं वजह है कि बवाना जैसे इलाके में फैक्टी में आग लगी और कई जानें मौत का शिकार हो गई।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली के विभिन्न इलाकों में खास तौर पर बाहरी व देहात दिल्ली में जगह-जगह प्लास्टिक, रबड़ आदि के गोदाम बने हुए हैं। जोकि बिना किसी एजेंसी की अनुमति के धड़ल्ले से चल रहे हैं। दरअसल, नॉर्थ एमसीडी ने इस तरह के गोदामों पर सख्त कार्रवाई का ऐलान भी किया था लेकिन निगम की ये मुहिम सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई और नतीजा बवाना में लगी आग की घटना में मारे गए लोगों के रूप में सामने है।
बता दें कि साल 2016 के नवंबर माह के दौरान नॉर्थ एमसीडी हाउस में तत्कालीन कमिश्नर प्रवीण कुमार गुप्ता ने आकस्मिक दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट पेश करते हुए इस तरह के गोदामों में आग लगने की घटना की जानकारी दी थी। जिसके बाद हाउस में यह मुद्दा बड़े ही जोर-शोर से उठाया गया था। हाउस में जवाब मांगा गया था कि इस तरह के गोदामों पर कार्रवाई करने का अधिकार किस एजेंसी के पास है। इसके जवाब में तत्कालीन अडिश्नल कमिश्नर संजय गोयल ने हाउस को जानकारी दी थी कि इन पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के क्षेत्राधिकार में ही आता ही। साथ ही यह जानकारी भी दी थी कि इन लोगों के पास ट्ऱेड लाइसेंस नहीं होता है और न ही ऐसा कोई नियम है जिसके तहत इन्हें लाइसेंस के दायरे में लाया जाए।
इसके बाद निगम ने आवासीय क्षेत्रों में जहां पर बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं, ऐसी जगहों से गोदामों का खाली कराने का निर्णय लिया था। कहा गया था कि यहां पर इन गोदामों में आग लगने से बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। इसलिए कार्रवाई करने की सख्त जरूरत है। निगम ने यह भी कहा था कि ऐसा ट्रेड करने वालों को नोटिस जारी कर अलॉटेड पीवीसी मार्केटों में जाने को कहा जाएगा। इसके लिए बकायादा उन्हें समय भी दिया जाएगा। इसके अलावा ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी लेकिन इस फैसले को अमल में नहीं लाया जा सका और आज भी दुर्घटना की संभावना जस की तस बरकरार है।

कोर्ट के आदेश की हो रही है अवेहलना
पूठ कलां गांवमें भी ऐसा ही हादसे की आशंका बनी रहती है। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर चल रही अवैध फैक्ट्रियों में बड़ी संख्या में बोरवेल लगे हुए हैं जिनसे प्लास्टिक की धुलाई का कार्य होता है। इस धुलाई के काम में लाखों लीटर भूजल का दोहन हो रहा है। पूठ कलां गांव व उसके आसपास के रिहायशी क्षेत्र में प्लास्टिक धुलाई और भ_ियां चल रही है। ऐसे में गांव निवासियों द्वारा बार-बार शिकायत करने पर भी संबंधित विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही हैं।

-राजेश रंजन सिंह
साभार: पंजाब केसरी 

North MCD & Action Plan

22 jan 2018, Page No.9, Punjab Kesari

Monday 22 January 2018

द्वारका में इंटरनेशनल एग्जिीबिशन कम कंवेंशन सेंटर के लिए काटे जाएंगे 1961 पेड़


एशिया का सबसे बड़ा एग्जिीबिशन कम कंवेंशन सेंटर बनाने की है तैयारी
पर्यावरणविदों ने उठाए सवाल


दिल्ली को वल्र्ड क्लास सिटी बनाने के लिए एक बार फिर से यहां पर हजारों पेड़ों की बलि दी जाएगी। द्वारका सबसिटी में मोस्ट अवेटेड प्रोजेक्ट इंटरनेशनल एग्जिीबिशन कम कंवेंशन सेंटर (ईसीसी) के लिए लगभग दो हजार पेड़ काटे जाएंगे। खास बात यह है कि इसके लिए इस प्रोजेक्ट को इंवायरमेंटल क्लीयरेंस भी मिल चुका है। ऐसे में एक प्रोजेक्ट के लिए इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटे जाने का विरोध भी शुरू हो गया है। पर्यावरण से जुड़े लोग अब इस मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) जाने की तैयारियों में जुट गए हैं। इन लोगों का कहना है कि पहले ही दिल्ली मैट्रो जैसे प्रोजेक्टों के लिए दिल्ली में हरियाली का विनाश किया जा चुका है। जिसका खामियाजा आज दिल्ली की जनता को प्रदूषण के रूप में भुगतना पड़ रहा है। यदि द्वारका में इतने बड़े पैमाने पर पेड़ काटे गए तो स्थिति और भयावह हो सकती है।

काटे जाएंगे 1961 पेड़
द्वारका सैक्टर-25 में लगभग 26,000 करोड़ की लागत से इंटरनेशनल एग्जिीबिशन कम कंवेंशन सेंटर बनाया जाना है। इसके लिए बकायदा एक सर्वे कराया गया था जिसके बाद रिपोर्ट पेश की गई कि इस प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए 1961 पेड़ों को काटने की जरूरत होगी। बता दें कि इस इंटरनेशनल लेवल के कंवेंशन सेंटर के निर्माण के लिए दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कोरपोरेशन लिमिटेड को नॉलेज पार्टनर बनाया गया है।

89.72 हेक्टेयर में बनेगा कंवेंशन सेंटर
द्वारका के सेक्टर-25 में 89.72 हेक्टेयर भूमि को इस परियोजना के लिए डीडीए ने स्थानांतरित किया था। इसका बिल्ट-अप एरिया 10.2 लाख वर्ग मीटर होगा। यहां पर एग्जिीबिशन हॉल, कंवेंशन सेंटर, बैंक्वेट हॉल्स, फाइनेंशियल सेंटर, होटल, फूड एंड बिवरेड आउटलेट्स के अलावा ऑफिस, रिटेल और सर्विस अपार्टमेंट की भी सुविधा होगी। एक बार में यहां पर पांच हजार से दस हजार प्रतिनिधियों की मेजबानी करने की क्षमता होगी।

-राजेश रंजन सिंह
साभार पंजाब केसरी

पंजाब केसरी में प्रकाशित मेरी खबरें
22 jan 2018, Page No.9, Punjab Kesari

डीडीयू में सिर्फ साइट पर है बर्न वार्ड की सुविधा

आरटीआई में बताया सिर्फ माइनर बर्न का होता है इलाज

बाहरी व पश्चिमी दिल्ली की लाखों की आबादी पर नहीं है एक भी बर्न वार्ड

सफदरजंग व एलएनजेपी अस्पतालों में कर दिया जाता है रैफर


दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार डीडीयू अस्पताल में सुविधाओं का भारी टोटा है। अस्पताल में आगजनी की घटनाओं के शिकार मरीजों के इलाज के लिए बर्न वार्ड की सुविधा भी नहीं है। हैरानी की बात यह है कि अस्पताल की वेबसाइट पर फैसिलिटी चार्ट के अनुसार यहां पर 6 बेडों का वर्न वार्ड उपलब्ध है। जबकि आरटीआई में मिले जवाब के अनुसार इस अस्पताल में जले हुए मरीजों का इलाज ही उपलब्ध नहीं है। अस्पताल में बर्न वार्ड न होने के कारण मरीजों को लंबी दूरी तय करसफदरजंग या लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में रैफर कर दिया जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बाहरी व पश्चिमी दिल्ली में किसी भी सरकारी अस्पताल में बर्न वार्ड या जले हुए मरीजों के उपचार की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
नाम न छापने की शर्त पर डीडीयू अस्पताल के एक सिनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में रोजाना लगभग 12-15 जले हुए मरीज आते हैं। इनमें से बेहद कम या नाम मात्र केजले मरीजों का इलाज किया जाता है। बाकी मरीजों को फस्र्ट-एड के बाद रैफर कर दिया जाता है। अस्पताल सूत्रों ने यह भी बताया कि साइट पर 6 बेड बर्न एंड प्लास्टिक के लिए दर्शाया तो गया है लेकिन यहां पर बर्न का इलाज का नहीं बल्कि हल्के रिकंस्ट्रक्टिव प्लास्टिक सर्जरी की जाती है।  इस तरह की सर्जरी में इन 6 बेडों का इस्तामाल किया जाता है।

लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एंबुलेंस की भी है कमी
आरटीआई में मिले जवाब के अनुसार साफ तौर पर स्पष्ट किया गया है कि डीडीयू अस्पताल में सिर्फ माइनर बर्न (कम जले) वाले मरीजों के उपचार की ही सुविधा है। यह सुविधा भी केवल आउट पेसेंट वेसिस पर ही उपलब्ध है। एक्सपर्ट डॉक्टरों की मानें तो 50-60 प्रतिशत आग मे झूलसे मरीज को तुरंत उपचार की जरूरत पड़ती है लेकिन वार्ड न होने के कारण दूसरे अस्पताल पहुंचने से पहले हीमरीज एंबुलेंस में ही तड़प-तड़प कर दम तोड़ जाता है। अस्पताल में फैली अव्यवस्था का आलम यह है कि सिरियस मरीजों को दूसरे अस्पताल पहुंचाने के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एंबुलेंस भी उपलब्ध नहीं है। नतीजतन मरीजों को महंगे दामों पर प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है।

अस्पताल प्रशासन ने माना इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है उपलब्ध
बता दें कि आग लगने, सिलेंडर ब्लास्ट, फैक्ट्री में आग लगने की घटना के समय पुलिस प्रशासन के भी हाथ पांव फूल जाते हैं कि मरीज को किस अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचाया जाए। आरटीआई से मिले जवाब को अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर ए. के. मेहता ने भी सही माना। उन्होंने कहा कि अस्पताल में बर्न डिपार्टमेंट के लिए अलग से न कोई वार्ड है और न ही इंफ्रास्ट्रक्चर ही उपलब्ध है। हालांकि अस्पताल में ऐसे मरीजों का प्राथमिक उपचार जरूर किया जाता है।

रैफर में होते हैं 3 से 4 घंटे बर्बाद
जले हुए मरीजों को सफदरजंग व एलएनजेपी जैसे अस्पतालों में रैफर किया जाता है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में 3 से चार घंटे का समय बर्बाद हो जाता है। जिससे मरीज की स्थिति और ज्यादा बिगड़ जाती है। एक्सपर्ट डॉक्टरों के अनुसार 50 फीसदी से ज्यादा जले मरीजों को बहुत ज्यादा दिक्कत होती है।

-साभार पंजाब केसरी

Republic Day & ASEAN

राजपथ पर माउंट आबू स्कूल के छात्र दिखाएंगे आसियान देशों की संस्कृति
सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड जैसे देशों की संस्कृति को देखने के लिए अब इन देशों में जाने की कोई जरूरत नहीं है। इसे जल्द ही राजपथ पर देखा जा सकेगा। दरअसल, भारतीय गणतंत्र दिवस के परेड समारोह में इस बार सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, जैसे देशों की संस्कृति से संबंधित कार्यक्रम को शामिल किया गया है। दौरान राजपथ पर इन देशों के पहनावे से लेकर संगीत का लुत्फ उठाया जा सकेगा।

150 स्कूली छात्र और 10 देशों की संस्कृति 
बता दें कि गणतंत्र दिवस समारोह 2018 के लिए भारत की ओर से आसियान (एसोसियशन ऑफ साउथ ईस्ट नेशंस) देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया गया है। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब गणतंत्र दिवस समारोह पर एक साथ दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए परेड के दौरान इन देशों की संस्कृति, संगीत, वेशभूषा को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रम को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम को रोहिणी सैक्टर-5 के माउंट आबू स्कूल के छात्र बखूबी पेश करेंगे।  इनमें 150 बच्चे हैं।

स्कूल ग्राउंड से लेकर राजपथ तक परेड की रिहर्सल 
गणतंत्र दिवस के मौके पर आसियान देशों की झलक पेश करने के लिए ये छात्र जमकर मेहनत कर रहे हैं। स्कूली छात्र परेड की तैयारियों के मद्देनजर स्कूल ग्राउंड से लेकर राजपथ तक परेड की रिहर्सल में जुटे हैं। छात्र राजपथ पर देश के साथ-साथ आसियान देशों की मिलीजुली संस्कृति पेश करने को देशभक्ति बताते हैं।

राजपथ पर आसियान की झलक
परेड के दौरान 150 छात्र भारत के अलावा 10 आसियान देशों की वेशभूषा, रीति-रिवाज, नृत्य, संगीत को पेश करेंगे। इस दौरान भारतीय संस्कृति, देश की छठा व धार्मिक विचारों की भी छवि राजपथ पर ये छात्र प्रदर्शित करेंगे। राजपथ पर छात्र कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, ब्रुनेई, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम की वेशभूषा में दिखाई देंगे। कार्यक्रम के दौरान छात्र आसियान सदस्य देशों का झंडा, देशों के नाम संबंधित बैनर, फुल के गुच्छे हाथों में थांमे आपसी भाईचारे का संदेश देंगे।

देशभक्ति का जोश  
बैंड की धुन पर की गई रिहर्सल के दौरान बच्चों का देशभक्ति के प्रति जज्बा देखते ही बनता था। इनमें विभिन्न कक्षाओं के छात्र शामिल हैं। रिहर्सल के दौरान छात्र परेड के लिए जमकर पसीना बहा रहे हैं। रिहर्सल कर रहे छात्र देशभक्ति के जोश से लबरेज दिखे। इन छात्रों का मानना है कि मेहमान देशों की संस्कृति से संबंधित कार्यक्रम उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष पेश करने से भारत के साथ इन देशों के संबंध और प्रगाढ़ होंगे। इससे हमारे देश को ही कहीं न कहीं फायदा होगा। इस कार्य को छात्र देशहित में किया गया काम मान रहे हैं।

Bawan Fire, Civic Bodies & Action Plan

आग की घटना रोकने के लिए निगम के पास नहीं है कोई एक्शन प्लान
-निगम ने शुरु की थी प्लास्टिक, रबड़ आदि के गोदामों पर सख्त कार्रवाई की कवायद
-जगह-जगह आग लगने की घटना के बाद हाउस में लाया गया था प्रस्ताव

बवाना में लगी आग की घटना ने एक बार फिर सीविक एजेंसियों की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। हालांकि पहले भी कई आग की घटनाओं के बाद निगम ने आग की वजह बनने वाले व्यापारों पर कार्रवाई की बात तो कही थी। लेकिन वोटबैंक की राजनीति के कारण इन व्यापारों पर किसी भी प्रकार की कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। यहीं वजह है कि बवाना जैसे इलाके में फैक्टी में आग लगी और कई जानें मौत का शिकार हो गई।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली के विभिन्न इलाकों में खास तौर पर बाहरी व देहात दिल्ली में जगह-जगह प्लास्टिक, रबड़ आदि के गोदाम बने हुए हैं। जोकि बिना किसी एजेंसी की अनुमति के धड़ल्ले से चल रहे हैं। दरअसल, नॉर्थ एमसीडी ने इस तरह के गोदामों पर सख्त कार्रवाई का ऐलान भी किया था लेकिन निगम की ये मुहिम सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई और नतीजा बवाना में लगी आग की घटना में मारे गए लोगों के रूप में सामने है।
बता दें कि साल 2016 के नवंबर माह के दौरान नॉर्थ एमसीडी हाउस में तत्कालीन कमिश्नर प्रवीण कुमार गुप्ता ने आकस्मिक दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट पेश करते हुए इस तरह के गोदामों में आग लगने की घटना की जानकारी दी थी। जिसके बाद हाउस में यह मुद्दा बड़े ही जोर-शोर से उठाया गया था। हाउस में जवाब मांगा गया था कि इस तरह के गोदामों पर कार्रवाई करने का अधिकार किस एजेंसी के पास है। इसके जवाब में तत्कालीन अडिश्नल कमिश्नर संजय गोयल ने हाउस को जानकारी दी थी कि इन पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के क्षेत्राधिकार में ही आता ही। साथ ही यह जानकारी भी दी थी कि इन लोगों के पास ट्ऱेड लाइसेंस नहीं होता है और न ही ऐसा कोई नियम है जिसके तहत इन्हें लाइसेंस के दायरे में लाया जाए।
इसके बाद निगम ने आवासीय क्षेत्रों में जहां पर बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं, ऐसी जगहों से गोदामों का खाली कराने का निर्णय लिया था। कहा गया था कि यहां पर इन गोदामों में आग लगने से बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। इसलिए कार्रवाई करने की सख्त जरूरत है। निगम ने यह भी कहा था कि ऐसा ट्रेड करने वालों को नोटिस जारी कर अलॉटेड पीवीसी मार्केटों में जाने को कहा जाएगा। इसके लिए बकायादा उन्हें समय भी दिया जाएगा। इसके अलावा ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी लेकिन इस फैसले को अमल में नहीं लाया जा सका और आज भी दुर्घटना की संभावना जस की तस बरकरार है।

Sunday 21 January 2018

DDA & Social Cultural centre

16 Oct 2017, Page no.8, Punjab Kesari

Forest Department Delhi

15 Oct 2017, Page no.7, Punjab Kesari

Delhi Tourism & Budget Hotel

14 Oct 2017, Page No.12, Punjab kesari

Dwarka exhibition and convention centre

10 oct 2017, Page No.8, Punjab kesari

Indira Gandhi Hospital Dwarka

9 Oct 2017, Page no.8, Punjab kesari

Rohini Residential Scheme 1981

2 oct 2017, Page No.7, Punjab kesari

Friday 19 January 2018

AAP MLA & President decision

क्या राष्ट्रपति देंगे विधायकों को अयोग्य घोषित करने की स्वीकृति

म आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश के साथ ही कई सवाल उठने लगे हैं। आम जनता के बीच भी यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश को अपनी स्वीकृति देंगे? क्या इन विधायकों की सदस्यता को राष्ट्रपति अयोग्य घोषित करने पर अपनी अंतिम मुहर लगा देंगे? इसका सरकार पर क्या असर पड़ेगा? इस मसले से दिल्ली और देश की राजनीति कितनी गरमाएगी? यदि विधायकों के विरुद्ध फैसला आता है तो केजरीवाल के विधायकों की संख्या 66 से 46 रह जाएगी।
युनाव आयोग की इस सिफारिश के साथ ही चर्चा के केंद्र में एक नए शख्स का नाम भी जुड़ गया है। यह नाम है प्रशांत पटेल का। आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता को लेकर पटेल ने ही वकील प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास एक याचिका लगाई थी। राष्ट्रपति को दी गई याचिका में कहा गया था कि संसदीय सचिव सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ऐक्ट 1991 की धारा 15 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लाभ के पद पर है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है। पटेल की याचिका पर केजरीवाल को झटका लगा था। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के खिलाफ फैसला दिया था।
विधायकों को (19 जनवरी) को दिल्ली हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब चुनाव आयोग ने आपको बुलाया था तो आप क्यों नहीं गए। मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी। चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य घोषित करने की अनुशंसा के खिलाफ आप विधायकों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बता दें कि लाभ के पद मामले में फंसे आप के 20 विधायकों को चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की है।

ADE refused North MCD commissioner's Order

22 Sep 2017, Page no.8, Punjab kesari

South MCD Zonal Office & Fire Safety


8 sep 2017 page no.8, Punajb kesari

Ghazipur lanfill site & NGT

3 Sep 2017, Page no.10, Punjab Kesari

Ghazipur Landfill site collapse

2 Sep 2017, Page No.8, Punjab kesari

Thursday 18 January 2018

31 Dec 2017, Page No.11, Punjab Kesari
22 Dec 2017, Page no.15, Punjab Kesari

18 Dec 2017, Page no.8, Punjab kesari
3 Dec 2017, Page No.10, Punjab Kesari

1 Dec 2017, Page No.7, punjab kesari

10 Jan 2018, Page No.10, Punjab Kesari
4 Jan 2018, Page No.10, Punjab Kesari

2 Jan 2018, Page No.10, Punjab Kesari
1 Jan 2018, Page No.11, Punjab Kesari


Tuesday 16 January 2018