चीफ सेक्रेटरी, तीनों निगम के कमिश्नर, डीडीए, सीपीसीबी, डीएसआईआईडीसी के अधिकारी होंगे शामिल
डीडीए को एक विस्तृत प्रस्ताव पेश करने का निर्देश
वैकल्पिक लैंडफिल साइट व वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट लगाने को लेकर एनजीटी ने संबंधित एजेंसियों की एक बैठक बुलाई है। एनजीटी के एक्टिंग चेयरपर्सन जस्टिस यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राजधानी को एक नए लैंडफिल साइट की सख्त जरूरत है लेकिन दिल्ली सरकार, डीडीए और तीनों निगमों में आपसी तालमेल नहीं हैं। इसी को लेकर आगामी 3 फरवरी को एक बैठक बुलाई गई है। इसमें दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी, तीनों निगमों के कमिश्नर, दिल्ली कैंट बोर्ड के सीईओ, दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रीयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कोरपोरेशन (डीएसआईआईडीसी) के मैनेजिंग डायरेक्टर, डीडीए के वाइस चेयरमैन, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के चेयरमैन और नेशनल थर्मल पावर कोरपोरेशन (एनटीपीसी) के मैनेजिंग डायरेक्टर को तलब किया गया है। दिल्ली सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि डीडीए, एनटीपीसी, डीएसआईआईडी, चीफ सेक्रेटरी ने इस विषय पर विचार-विमर्श किया है। इस दौरान यह तय किया गया कि उपराज्यपाल के समक्ष डीडीए एक विस्तृत प्रस्ताव पेश करेगा। इस पर बेंच ने कहा कि इसे एक सप्ताह के भीतर तैयार करें।
इससे पहले एनजीटी ने साफ तौर पर कहा था कि किसी अन्य प्रोजेक्ट पर काम करने से पहले डीडीए नई लैंडफिल साइट के लिए जगह निर्धारित करे। बेंच ने जगह निर्धारित नहीं होने तक डीडीए, डीएसआईआईडीसी समेत दूसरी लोकल एजेंसियों को किसी अन्य प्रोजेक्ट पर काम करने पर रोक लगा दी थी।
तत्कालीन एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच ने दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी को डीडीए, दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रीयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डीएसआईआईडीसी), एमसीडी व संबंधित दूसरी एजेंसियों के साथ मिटिंग करने का निर्देश दिया था। साथ ही दो सप्ताह के भीतर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के लिए वैकल्पिक साइट की रिपोर्ट के साथ तलब किया था। वेस्ट मैनेजमेंट के लिए लैंडफिल साइटों की पहचान करने के मामले में तेजी लाने के लिए एनजीटी ने चीफ सेक्रेटरी और उपराज्यपाल को निर्देश जारी किया था। बेंच ने सभी पक्षों को नरेला-बवाना प्लांट व एनटीपीसी के बदरपुर प्लांट की क्षमता बढ़ाने के लिए भी निर्देशित किया था। एनजीटी ने कहा था कि यह दुर्भागय है कि राजधानी इतनी गंभीर समस्या से जूझ रही है और एजेंसियां आरोप-प्रत्यारोप में उलझकर गैर जिम्मेदराना रवैया दिखा रही हैं।
डीडीए को एक विस्तृत प्रस्ताव पेश करने का निर्देश
वैकल्पिक लैंडफिल साइट व वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट लगाने को लेकर एनजीटी ने संबंधित एजेंसियों की एक बैठक बुलाई है। एनजीटी के एक्टिंग चेयरपर्सन जस्टिस यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राजधानी को एक नए लैंडफिल साइट की सख्त जरूरत है लेकिन दिल्ली सरकार, डीडीए और तीनों निगमों में आपसी तालमेल नहीं हैं। इसी को लेकर आगामी 3 फरवरी को एक बैठक बुलाई गई है। इसमें दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी, तीनों निगमों के कमिश्नर, दिल्ली कैंट बोर्ड के सीईओ, दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रीयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कोरपोरेशन (डीएसआईआईडीसी) के मैनेजिंग डायरेक्टर, डीडीए के वाइस चेयरमैन, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के चेयरमैन और नेशनल थर्मल पावर कोरपोरेशन (एनटीपीसी) के मैनेजिंग डायरेक्टर को तलब किया गया है। दिल्ली सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि डीडीए, एनटीपीसी, डीएसआईआईडी, चीफ सेक्रेटरी ने इस विषय पर विचार-विमर्श किया है। इस दौरान यह तय किया गया कि उपराज्यपाल के समक्ष डीडीए एक विस्तृत प्रस्ताव पेश करेगा। इस पर बेंच ने कहा कि इसे एक सप्ताह के भीतर तैयार करें।
इससे पहले एनजीटी ने साफ तौर पर कहा था कि किसी अन्य प्रोजेक्ट पर काम करने से पहले डीडीए नई लैंडफिल साइट के लिए जगह निर्धारित करे। बेंच ने जगह निर्धारित नहीं होने तक डीडीए, डीएसआईआईडीसी समेत दूसरी लोकल एजेंसियों को किसी अन्य प्रोजेक्ट पर काम करने पर रोक लगा दी थी।
तत्कालीन एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच ने दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी को डीडीए, दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रीयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डीएसआईआईडीसी), एमसीडी व संबंधित दूसरी एजेंसियों के साथ मिटिंग करने का निर्देश दिया था। साथ ही दो सप्ताह के भीतर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के लिए वैकल्पिक साइट की रिपोर्ट के साथ तलब किया था। वेस्ट मैनेजमेंट के लिए लैंडफिल साइटों की पहचान करने के मामले में तेजी लाने के लिए एनजीटी ने चीफ सेक्रेटरी और उपराज्यपाल को निर्देश जारी किया था। बेंच ने सभी पक्षों को नरेला-बवाना प्लांट व एनटीपीसी के बदरपुर प्लांट की क्षमता बढ़ाने के लिए भी निर्देशित किया था। एनजीटी ने कहा था कि यह दुर्भागय है कि राजधानी इतनी गंभीर समस्या से जूझ रही है और एजेंसियां आरोप-प्रत्यारोप में उलझकर गैर जिम्मेदराना रवैया दिखा रही हैं।
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