20 फरवरी को होगी सुनवाई
जनकपुरी इलाके में अवैध तौर पर डाइंग की फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं। आवायी क्षेत्रों में चलाए जा रहे ऐसे उद्योगों पर पाबंदी को लेकर एक आरडब्ल्यूए ने एनजीटी ने गुहार लगाई है। चाणक्य प्लेस रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसियशन ने एनजीटी के समक्ष याचिका दाखिल कर इन फैक्ट्रियों को बंद कराने की मांग की है। अब इस मामले में 20 फरवरी को सुनवाई होगी।
बता दें कि चाणक्य प्लेस रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसियशन ने जनकपुरी, सीतापुरी, और दूसरी आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर एनजीटी में गत वर्ष ही याचिका दाखिल की। इस याचिका में एसोसियसन की ओर से जानकारी दी गई कि जनकपुरी, सीतापुरी, और दूसरी कॉलोनियों में अवैध तौर पर बेरोक-टोक तरीके से डाइ करने की फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं। इस बाबत आरडब्ल्यूए ने संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस संबंध में शिकायत दी लेकिन कहीं से भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हालांकि ऐसे ही एक मामले एनजीटी ने गत वर्ष जुलाई माह के दौरान अवैध तौर पर चल रहे उद्योगों की लिस्ट तलब की थी। एनजीटी ने उन उद्योगों की भी लिस्ट मांगी थी जो बिना अनुमति धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं और वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान याचिककर्ता की ओर से स्पष्ट तौर पर जानकारी दी गई थी कि अधिकारी प्रदूषण फैलाने वाली व अवैध तौैर पर चलने वाली फैक्ट्रियों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) व नॉर्थ एमसीडी को ज्वाइंट इंस्पेक्शन कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश जारी किया था। नॉर्थ एमसीडी के तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर ने भी निगम की हाउस की बैठक में बताया था कि इन पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के क्षेत्राधिकार में ही आता है।
जनकपुरी इलाके में अवैध तौर पर डाइंग की फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं। आवायी क्षेत्रों में चलाए जा रहे ऐसे उद्योगों पर पाबंदी को लेकर एक आरडब्ल्यूए ने एनजीटी ने गुहार लगाई है। चाणक्य प्लेस रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसियशन ने एनजीटी के समक्ष याचिका दाखिल कर इन फैक्ट्रियों को बंद कराने की मांग की है। अब इस मामले में 20 फरवरी को सुनवाई होगी।
बता दें कि चाणक्य प्लेस रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसियशन ने जनकपुरी, सीतापुरी, और दूसरी आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर एनजीटी में गत वर्ष ही याचिका दाखिल की। इस याचिका में एसोसियसन की ओर से जानकारी दी गई कि जनकपुरी, सीतापुरी, और दूसरी कॉलोनियों में अवैध तौर पर बेरोक-टोक तरीके से डाइ करने की फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं। इस बाबत आरडब्ल्यूए ने संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस संबंध में शिकायत दी लेकिन कहीं से भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हालांकि ऐसे ही एक मामले एनजीटी ने गत वर्ष जुलाई माह के दौरान अवैध तौर पर चल रहे उद्योगों की लिस्ट तलब की थी। एनजीटी ने उन उद्योगों की भी लिस्ट मांगी थी जो बिना अनुमति धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं और वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान याचिककर्ता की ओर से स्पष्ट तौर पर जानकारी दी गई थी कि अधिकारी प्रदूषण फैलाने वाली व अवैध तौैर पर चलने वाली फैक्ट्रियों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) व नॉर्थ एमसीडी को ज्वाइंट इंस्पेक्शन कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश जारी किया था। नॉर्थ एमसीडी के तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर ने भी निगम की हाउस की बैठक में बताया था कि इन पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के क्षेत्राधिकार में ही आता है।
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