आजाद हिंद ग्राम में हर साल ग्रामीण करते हैं कार्यक्रम का आयोजनरागनी व ब्लड डोनेशन कैंप का किया गया आयोजन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर भी सरकार ने उनकी सुध नहीं ली। दरअसल, नेशनल हाइवे-10 स्थित टीकरी कलां में दिल्ली पर्यटन द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की स्मृति में आजाद हिंद ग्राम विकसित किया था। लेकिन इसके बाद इसकी सुध नहीं ली गई। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहां नेताजी ने भारत में अपना अंतिम भाषण दिया था। सरकार की बेरूखी के कारण इसकी इस पर्यटन स्थल की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे साहिब सिंह वर्मा ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए ही इस स्थान को दिल्ली पर्यटन के माध्यम से विकसित कराया था। ग्रामीणों का कहना है कि राजनीतिक वजहों से बाद में आई सरकारों ने इसे तनिक भी गंभीरता से नहीं लिया। यहां तक कि इस स्थल की मरम्मत तक नहीं कराई गई। वर्तमान में संग्रहालय भी बंद हो चुका है और न ही अब नेताजी पर बनी शॉर्ट फिल्म ही दिखाई जाती है। अब इसे विवाह स्थल के रुप में दिल्ली सरकार किराए पर देती है।
file Photo: Source (CulturalIndia.net) |
लेकिन ग्रामीण बोस की याद में हर साल यहां पर कार्यक्रम का आयोजन कराते हैं। इस साल भी रागनी व ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया। हालांकि गत वर्ष भी दिल्ली पर्यटन ने इसे संवारने और बोस से जुड़ी यादों को ज्यादा समृद्ध करने का फैसला किया था। कहा गया था कि इसके लिए बकायादा एक कंसलटेंट नियुक्तकर दिया गया है और आजाद हिंद ग्राम में स्मारक और न्यूजियम को नए सिरे से संवारा जाएगा। साथ ही म्यूजियम में और चीजों को संग्रहित करने के लिए देश भर से नेताजी से जुड़ी वस्तुओं, पत्रों आदि को हासिल करने के प्रयास की भी चर्चा हुई थी। लेकिन हालात जस के तस के हैं।
आजाद हिंद ग्राम में कार्यक्र का आयोजन करते ग्रामीण |
क्या है इतिहास
कहा जाता है कि आजादी की लड़ाई के समय ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने चंद साथियों के साथ टीकरी गांव आए थे और भारत में अपना अंतिम भाषण यहीं दिया था। उन्होंने टीकरी गांव के साथ-साथ आस-पास के समस्त गांव जैसे हिरण कूदना, घेवरा, नीलवाल, मुंडका, रानीखेड़ा आदि के लोगों से आजादी की लड़ाई में अपना सहयोग और बलिदान देने का वचन मांगा था और सभी गांववासियों ने सहयोग भी किया था।
नहीं है सुरक्षा और रख-रखाव
यहां ना तो सुरक्षा के इंतजाम हैं और न ही इसकी देखरेख और सफाई के लिए कर्मचारी है। औपचारिकता पूरी करने के लिए सिर्फ इक्का-दूक्का कर्मचारी रखे गए हैं। यहां उनकी मूर्ति से लेकर उनसे जुड़ी बातें दीवार पर लटके कैलेंडर पर सहेजी गई थी जो अब कहीं नजर नहीं आती हैं।
साभार: पंजाब केसरी
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