Saturday, 27 January 2018

यादों के झरोखे से : कितना बदल गया गणतंत्र दिवस


फाइल फोटो 
हम 69वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पहले गणतंत्र दिवस की बात करें तो आप अचंभित होंगे। बहुत से लोगों को पहला गणतंत्र याद भी होगा, लेकिन अधिकतर इसके बारे में जरूर जानना चाहेंगे। भारत ने 68 साल पहले 26 जनवरी, 1950 को अपना पहला गणतंत्र दिवस मनाया था,जब इंडोनेशिया के राष्‍ट्रपति सुकर्णो इस समारोह के अतिथि बने थे और तब दक्षिण-पूर्वी एशिया में उनकी खास पहचान थी। इस बार आसियान देशों के नेताओं को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया। यहां यह बता दें कि पहला गणतंत्र दिवस उस स्थान पर मनाया गया जहां आज नेशलन स्टेडियम सिर उठाए खड़ा है। पुरानी तस्वीरों में परेड के साथ पुराने किले की दीवारें भी दिखाई दे रही हैं। इस गणतंत्र दिवस के मौके पर केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने ट्विटर पर पहले गणतंत्र की कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं।
देश जब अपना पहला गणतंत्र दिवस मना रहा था तो उसे ब्रिटिश उपनिवेश से आजाद हुए चंद साल ही हुए थे। उस वक्‍त की जनभावनाएं बिल्‍कुल अलग थीं। कई मायनों में यह अलग था। यह जानना दिलचस्‍प होगा कि भारत के पहले गणतंत्र दिवस की परेड कैसी रही थी?
पुराने किले के बैकग्राउंड में एम्‍फीथियरेटर में तब सैनिकों ने रोंगटे खड़े कर देने वाला मार्च किया था। बिना किसी सुरक्षा कवर के विजय चौक पर सवारी करते हुए भारत के पहले राष्‍ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद इस ऐतिहासिक दिन का गवाह बने थे। कुछ तस्वीरें उस वक्‍त के परेड को लेकर काफी कुछ बयां कर देता है। इसमें भारत के पहले गणतंत्र दिवस की चुनिंदा झलकियां हैं।
पहले गणतंत्र से जुड़ी कुछ और भी बातें हैं, जिन्‍हें जानना दिलचस्‍प होगा। रिकॉड्र्स के मुताबिक, परेड में तीनों सेनाओं के 3000 अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने हिस्‍सा लिया था। उस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए लगभग 15,000 लोग इक_ा हुए थे। दिल्‍ली की सड़कों से होकर राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का काफिला निकला तो 'भारत माता की जय' के नारे लगते रहे।
फाइल फोटो 
यह काफिला जब तक इरविन एम्‍फीथियेटर तक पहुंचा, हर गली से जयकारे लगते रहे। यह जगह अब मेजर ध्‍यानचंद नेशनल स्‍टेडियम के नाम से जाना जाता है।
वर्ष 1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद से ही यह समारोहदेश की विविधता में एकता की अनूठी विरासत और आधुनिकता के सामंजस्‍य को प्रदर्शित करता आया है। साल-दर-साल भारत की उपलब्धियों का प्रदर्शन भी इस समारोह में होता है। देश की सुरक्षा और इसकी आन-बान-शान के लिए बलिदान को हमेशा तत्‍पर फौज की क्षमता का भव्‍य प्रदर्शन भी इसमें होता रहा है। राजपथ पर होने वाले परेड जहां भारत की सैन्‍यक्षमता को प्रदर्शित करते हैं, वहीं झांकियां एकता में पिरोई विविधताओं की झलक पेश करती हैं।
फाइल फोटो 
इस समारोह के लिए भारत हर बार मुख्‍य अतिथि के तौर पर किसी न किसी देश की सरकार के प्रमुख को आमंत्रित करता रहा है। अब तक भारत ने दो से अधिक देशों के नेताओं को कभी अतिथि के तौर पर आमंत्रित नहीं किया, लेकिन इस बार भारत ने परंपराओं से हटते हुए 10 देशों के नेताओं को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्‍य अतिथियों के तौर पर आमंत्रित किया है,जो आसियान देशों के नेता हैं।

साभार: सुरेंद्र पंडित (पंजाब केसरी )

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