Wednesday 24 January 2018

एक राष्ट्र एक चुनाव विचार विषय पर सम्मेलन


कंसेशेशन ऑफ एजुकेशन एक्सलेंस ने मुंबई में किया आयोजन
देश के 15 राज्यों के 175 प्रतिनिधियों ने की शिरकत


कंसेशेशन ऑफ एजुकेशन एक्सलेंस (सीईई) ने राष्ट्र की वर्तमान राजनीति के समकालीन विषय पर राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन किया। इसका आयोजन रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी प्रशिक्षण संस्थान, मुंबई में किया गया। इसमें देश के 15 राज्यों के 175 प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
इस सम्मेलन के दौरान चुनावों की बहुलता और इसकी चुनौतियों, एक साथ चुनाव: संकल्पना की व्यवहार्यता और निष्पादन, एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए संवैधानिक प्रावधान और एक राष्ट्र एक चुनाव के संदर्भ में वैश्विक अनुभव पर विचार-विमर्श किया गया। संपूर्ण भारत विषय पर शोध पत्र को आमंत्रित करने के लिए शिक्षा उत्कृष्टता परिसंघ (सीईई) एजुकेशन नेटवर्क पार्टनर था। अत्यधिक प्रयासों के उपरांत, क्षेत्र के विशेषज्ञों के पैनल ने शोध पत्रों का चयन किया।
इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार मुख्य अतिथि थे। आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव प्रो. वी के मल्होत्रा भी इस दौरान मौजूद रहे। रामशेव म्हाल्गी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष, राज्यसभा सांसद व आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने मुख्य अतिथियों का स्वागत किया। सीईई की ओर से इस कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर काक, शैक्षणिक निदेशक सीईई (पूर्व संस्थापक उपाध्यक्ष महामया तकनीकी विश्वविद्यालय) उपस्थित थे।
रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने एक राष्ट्र एक चुनाव के महत्व और लाभों पर प्रकाश डाला। सहस्त्रबुद्धे ने यह भी कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव नए भारत में सभी राजनीतिक सुधारों की जननी होगी। सहस्त्रबुद्धे ने अपने समापन टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रसिद्ध पंक्ति माना अन्धेरा घना है, पर दीया जलाना कहां मना है का जिक्र किया।
आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव प्रोफेसर वी के मल्होत्रा ने देश के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव के लाभों पर बल दिया क्योंकि ऐसा करने से चुनाव में जनशक्ति के बहुत समय की बचत होगी, जो चुनावों के कारण बर्बाद होता है। इसका इस्तेमाल विकास कार्य के लिए किया जा सकता है जिससें निकट भविष्य में भारत एक महाशक्ति बन कर उभर सकता है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपने महत्वपूर्ण संबोधन में अपने देश में चुनावों पर खर्च होने वाली विशाल राशि को रेखांकित करते कहा कि यदि हम एक राष्ट्र एक चुनाव को स्वीकार कर लेते हैं और यदि एक साथ चुनाव आयोजित किए जाते हैं तो हम एक देश के रूप में बहुत अधिक राशि की बचत कर सकते हैं। इस राशि को विकास और बुनियादी परियोजनाओं पर खर्च कर सकते है। राजीव कुमार ने चुनावी प्रणाली की तुलना शेयर बाजार के साथ करते हुए कहा कि यदि कोई उम्मीदवार या किसी खास पार्टी ने अच्छा काम किया है तो वह फिर से निर्वाचित हो जाता है और अगर वह अच्छा काम नहीं करता है तो फिर से निर्वाचित होने की संभावना बहुत कम होती है, जो शेयर बाजार के समान ही है। अगर किसी विशेष कंपनी के परिणाम अच्छे आते हैं तो इसकी बाजार की कीमत में वृद्धि होती है और यदि परिणाम अच्छे नहीं हैं तो कीमत गिरती है। राजीव कुमार ने कहा कि वह खुश हैं कि राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए यह एक महत्वपूर्ण विषय का चयन किया गया है और उन्होंने आशा व्यक्त किया की कि आने वाले भविष्य में एक राष्ट्र एक चुनाव वास्तविकता होगी।

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