Friday, 19 January 2018

AAP MLA & President decision

क्या राष्ट्रपति देंगे विधायकों को अयोग्य घोषित करने की स्वीकृति

म आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश के साथ ही कई सवाल उठने लगे हैं। आम जनता के बीच भी यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश को अपनी स्वीकृति देंगे? क्या इन विधायकों की सदस्यता को राष्ट्रपति अयोग्य घोषित करने पर अपनी अंतिम मुहर लगा देंगे? इसका सरकार पर क्या असर पड़ेगा? इस मसले से दिल्ली और देश की राजनीति कितनी गरमाएगी? यदि विधायकों के विरुद्ध फैसला आता है तो केजरीवाल के विधायकों की संख्या 66 से 46 रह जाएगी।
युनाव आयोग की इस सिफारिश के साथ ही चर्चा के केंद्र में एक नए शख्स का नाम भी जुड़ गया है। यह नाम है प्रशांत पटेल का। आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता को लेकर पटेल ने ही वकील प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास एक याचिका लगाई थी। राष्ट्रपति को दी गई याचिका में कहा गया था कि संसदीय सचिव सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ऐक्ट 1991 की धारा 15 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लाभ के पद पर है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है। पटेल की याचिका पर केजरीवाल को झटका लगा था। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के खिलाफ फैसला दिया था।
विधायकों को (19 जनवरी) को दिल्ली हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब चुनाव आयोग ने आपको बुलाया था तो आप क्यों नहीं गए। मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी। चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य घोषित करने की अनुशंसा के खिलाफ आप विधायकों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बता दें कि लाभ के पद मामले में फंसे आप के 20 विधायकों को चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की है।

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