Thursday 25 January 2018

आग से बचाव के लिए सिर्फ 1 करोड़

बवाना औद्योगिक क्षेत्र बसाया लेकिन नहीं दी सुविधाएं 

दिल्ली सरकार समेत दूसरी एजेंसियां औद्योगिक क्षेत्र को लेकर नहीं हैं गंभीर

आग से बचाव के लिए डीएसआईआईडीसी ने सिर्फ 1 करोड़ किया था प्रस्तावित

कहने को तो दिल्ली सरकार ने बवाना औद्योगिक क्षेत्र को योजनाबद्ध तरीके से बसाया था। लेकिन यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं की खुलेआम अनदेखी की गई। जिसका नतीजा हाल ही में लगी आग की घटना के रूप में सामने आया। अब सवाल उठने लगे हैं कि सरकार ने इतने बड़े औद्योगिक क्षेत्र को बसाने से पहले स्वास्थ्य सेवाओं और आग से निपटने की स्थिति से बचने के उपायों पर गौर क्यों नहीं किया जबकि बवाना औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 16 हजार फैक्ट्रियों में लगभग एक लाख लोग काम करते हैं।

आग से बचाव के लिए 1 करोड़
दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रीयल डेवेलपमेंट कोरपोरेशन (डी.एस.आई.डी.सी.) की एक रिपोर्ट के मुताबिक बवाना औद्योगिक क्षेत्र बसाने के लिए सुविधाओं के नाम पर लगभग 700 करोड़ रूपए खर्च किए गए। इसमें सबसे ज्यादा 200 करोड़ पावर पर, रोड के लिए 162 करोड़ और पानी सप्लाई के लिए 100 करोड़ खर्च किए गए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने बड़े औद्योगिक क्षेत्र में आग से बचाव (फायर फाइटिंग) के लिए सिर्फ एक करोड़ की राशि ही प्रस्तावित की गई थी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार बवाना जैसे औद्योगिक क्षेत्र में आग से बचाव को लेकर कितनी गंभीर थी।

स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर खानापूर्ति
इतना ही नहीं, स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीरता नहीं बरती गई। सरकार ने हमेशा से ही औद्योगिक क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को दरकिनार किया है। बता दें कि बाहरी दिल्ली में सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र और महर्षि वाल्मीकि जैसे दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पताल हैं। लेकिन हमेशा ही बड़ी घटना घटने पर इन दोनों ही अस्पतालों से मरीजों को डीडीयू, अंबेडकर, सफदरजंग या एलएनजेपी जैसे अस्पतालों में रैफर कर दिया जाता है। बवाना में लगी आग की घटने के दिन कूदकर जान बचाने वाले लोगों को भी यहां पर्याप्त इलाज न मिलने पर एलएनजेपी अस्पताल रैफर कर दिया गया था। यहां के फैक्ट्री मालिकों का भी कहना है कि जब हम सरकार को टैक्स के रूप में मोटी रकम देते हैं तो यहां पर बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम क्यों नहीं किया जाता है। उनका कहना है कि शुरूआती दिनों में तो यहां पर सब कुछ ठीक था। लेकिन समय बीतने के बाद ही यहां पर सडक़, सीवरेज जैसी बुनियादी सुविधाएं भी हवा होती चली गईं। वर्तमान में यहां पर सडक़ें भी जर्जर होने लगी हैं और सीवरेज भी सफाई के अभाव में खस्ताहाल होने लगे हैं।

साभार: पंजाब केसरी
DSIIDC

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