Thursday 25 January 2018

चीन को रास नहीं आस रही भारत-आसियान दोस्ती

गणतंत्र दिवस से पहले चीन ने डोकलाम को लेकर दिया बयान

चीन और आसियान देशों के बीच है 36 का आंकड़ा

भारत अपना 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके को और बेहतर बनाने और एशिया के साथ-साथ दुनिया में अपनी छाप छोडऩे के लिए भारत ने आसियान देशों को निमंत्रित किया है। ऐसे में 26 जनवरी को आसियान के दस देशों के राष्ट्राध्यक्ष विशिष्ट अतिथि के तौर पर राजपथ से आधुनिक हिंदुस्तान की झलक देखेंगे। शायद यही वजह है कि चीन ऐसे समय में जानबूझकर भारत के विरूद्ध बयानबाजी कर रहा है। ऐसे ही एक बयान में चीन को एक बार फिर से डोकलाम की याद आ गई और चीन ने उसे अपना हिस्सा बता दिया। चीन की सेना की ओर से 17 जनवरी को दिए डोकलाम को विवादित क्षेत्र करार देने संबंधी सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान की आलोचना की गई है। चीनी सेना ने कहा कि डोकलाम गतिरोध जैसी घटनाओं से बचने के लिए 73 दिन के गतिरोध से भारत को सबक लेना चाहिए। लेकिन एक बार फिर से चीन यह भूल गया कि पीछे चीनी सैनिकों को हटना पड़ा था। इसमें भारत की कुटनीतिक जीत हुई थी।
इससे पहले भी जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू भारत दौरे पर आए थे। उस समय भी चीन की ओर से भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान को लेकर बयानबाजी की गई थी। बता दें कि रावत ने कहा था कि डोकलाम में चीनी सैनिक अभी भी मौजूद हैं। लेकिन सैनिकों की संख्या अब पहले के मुकाबले कम है। यह बयान सुनते ही चीन ने भी जनरल के बयान को भारतीय कूटनीति की अपरिपक्वता करार दे दिया था। साथ ही यह भी कह दिया था कि भारत इसी तरह उकसाने वाला बयान देता रहा तो चीनी सेना उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।
कहा जा रहा है कि चीनी सेना की ओर से जारी यह बयान यूं ही नहीं आया है। दरअसल, चीन को भारत और आसियान देशों की दोस्ती रास नहीं आ रही है। जिसकी खुन्नस निकालने के लिए ही चीनी सेना की ओर से ऐसा बयान आया है। बता दें कि गणतंत्र दिवस समारोह 2018 के लिए भारत की ओर से आसियान (एसोसियशन ऑफ साउथ ईस्ट नेशंस) देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया गया है। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब गणतंत्र दिवस समारोह पर एक साथ दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है। कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, ब्रुनेई, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष भारत आ भी चुके हंै।

आसियान देशों से चीन का है 36 का आंकड़ा
एशिया में कई मामलों को लेकर आसियान देशों का चीन से 36 का आंकड़ा है। यही वजह है कि आसियान देशों की चीन के साथ नहीं बनती। साउथ चाइना सी को लेकर आसियान के कुछ देशों का चीन से विवाद है।चीन इस पर अपना अधिकार जताता रहा है। जबकि यह जलक्षेत्र दुनिया भर में समुद्री कारोबार के लिए अहम है। भारत इस इलाके में खुली आवाजाही और कारोबार का समर्थन करता है। ऐसे में एशिया में चीन का दबदबा कम करने को लेकर भी भारत के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं। यहां सबसे खास बात यह है कि भारत का किसी भी आसियान देश के साथ सीमा को लेकर कोई विवाद नहीं है।

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