Monday 22 January 2018

Bawan Fire, Civic Bodies & Action Plan

आग की घटना रोकने के लिए निगम के पास नहीं है कोई एक्शन प्लान
-निगम ने शुरु की थी प्लास्टिक, रबड़ आदि के गोदामों पर सख्त कार्रवाई की कवायद
-जगह-जगह आग लगने की घटना के बाद हाउस में लाया गया था प्रस्ताव

बवाना में लगी आग की घटना ने एक बार फिर सीविक एजेंसियों की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। हालांकि पहले भी कई आग की घटनाओं के बाद निगम ने आग की वजह बनने वाले व्यापारों पर कार्रवाई की बात तो कही थी। लेकिन वोटबैंक की राजनीति के कारण इन व्यापारों पर किसी भी प्रकार की कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। यहीं वजह है कि बवाना जैसे इलाके में फैक्टी में आग लगी और कई जानें मौत का शिकार हो गई।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली के विभिन्न इलाकों में खास तौर पर बाहरी व देहात दिल्ली में जगह-जगह प्लास्टिक, रबड़ आदि के गोदाम बने हुए हैं। जोकि बिना किसी एजेंसी की अनुमति के धड़ल्ले से चल रहे हैं। दरअसल, नॉर्थ एमसीडी ने इस तरह के गोदामों पर सख्त कार्रवाई का ऐलान भी किया था लेकिन निगम की ये मुहिम सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई और नतीजा बवाना में लगी आग की घटना में मारे गए लोगों के रूप में सामने है।
बता दें कि साल 2016 के नवंबर माह के दौरान नॉर्थ एमसीडी हाउस में तत्कालीन कमिश्नर प्रवीण कुमार गुप्ता ने आकस्मिक दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट पेश करते हुए इस तरह के गोदामों में आग लगने की घटना की जानकारी दी थी। जिसके बाद हाउस में यह मुद्दा बड़े ही जोर-शोर से उठाया गया था। हाउस में जवाब मांगा गया था कि इस तरह के गोदामों पर कार्रवाई करने का अधिकार किस एजेंसी के पास है। इसके जवाब में तत्कालीन अडिश्नल कमिश्नर संजय गोयल ने हाउस को जानकारी दी थी कि इन पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के क्षेत्राधिकार में ही आता ही। साथ ही यह जानकारी भी दी थी कि इन लोगों के पास ट्ऱेड लाइसेंस नहीं होता है और न ही ऐसा कोई नियम है जिसके तहत इन्हें लाइसेंस के दायरे में लाया जाए।
इसके बाद निगम ने आवासीय क्षेत्रों में जहां पर बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं, ऐसी जगहों से गोदामों का खाली कराने का निर्णय लिया था। कहा गया था कि यहां पर इन गोदामों में आग लगने से बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। इसलिए कार्रवाई करने की सख्त जरूरत है। निगम ने यह भी कहा था कि ऐसा ट्रेड करने वालों को नोटिस जारी कर अलॉटेड पीवीसी मार्केटों में जाने को कहा जाएगा। इसके लिए बकायादा उन्हें समय भी दिया जाएगा। इसके अलावा ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी लेकिन इस फैसले को अमल में नहीं लाया जा सका और आज भी दुर्घटना की संभावना जस की तस बरकरार है।

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