एनजीटी ने भी मांगी थी ऐसे उद्योगों की लिस्ट
कुछ क्षेत्रों में अभी भी है हादसे का अंदेशा
यदि एजेंसियों ने अपनी-अपनी भूमिका का वहन किया होता तो बवाना में आग लगने की घटना ही नहीं घटती। दरअसल, ऐसे उद्योगों को लेकर एनजीटी ने भी संबंधित एजेंसियों को ज्वाइंट इंस्पेक्शन कर रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन इस मामले को लेकर किसी भी एजेंसी ने गंभीरता नहीं दिखाई और न ही किसी प्रकार की कोई कार्रवाई की।
एनजीटी ने भी गत वर्ष जुलाई माह के दौरान अवैध तौर पर चल रहे उद्योगों की लिस्ट तलब की थी। एनजीटी ने उन उद्योगों की भी लिस्ट मांगी थी जो बिना अनुमति धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं और वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान याचिककर्ता की ओर से स्पष्ट तौर पर जानकारी दी गई थी कि अधिकारी प्रदूषण फैलाने वाली व अवैध तौैर पर चलने वाली फैक्ट्रियों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) व नॉर्थ एमसीडी को ज्वाइंट इंस्पेक्शन कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश जारी किया था। नॉर्थ एमसीडी के तत्कालीन अडिशनल कमिश्नर ने भी निगम की हाउस की बैठक में बताया था कि इन पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के क्षेत्राधिकार में ही आता है।
संबंधित एसडीएम से भी ऐसे उद्योगों की लिस्ट मांगी गई थी। बावजूद इसके क्षेत्र में धड़ल्ले से चलाए जा रहे ऐसे उद्योगों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिसका कारण 17 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
File Photo: Bawana Fire |
साभार: पंजाब केसरी
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