Wednesday, 2 January 2019

मैं दिल्ली हूं मैंने कितनी, रंगीन बहारें देखी हैं



                            नए अंदाज में दिखेगा शाहजहां का शाहजहांनाबाद

मैं शाहजहांनाबाद हूं। हां वहीं शाहजहांनाबाद जिसे मुगल बादशाह अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मोहम्मद खुर्रम उर्फ शाहजहां ने बसाया था। वही, शाहजहांनाबाद जिसे कभी अफगान बादशाह अहमद शाह अब्दाली ने तो कभी अंग्रेजों द्वारा उजाड़ा जाता रहा। इतिहास के पन्नों में बसता-उजड़ता शाहजहांनाबाद फिर से संवरने की आस संजोए बैठा है। गनीमत है कि एक बार फिर से सरकार ने इसे संवारने और इसके ऐतिहासिक वजूद को दोबारा पुनर्जीवित करने की पहल की है। देखना होगा कि क्या इसकी पहचान वापिस मिलेगी या फिर शाहजहांनाबाद की ऐतिहासिक जमीन टूटी सडक़ों, ट्रैफिक जाम और बदलती सियासत के बीच फंसकर अपनी ऐतिहासिक पहचान खोती रहेगी।  

इतिहास को दिखाए गए सपने
बता दें कि शीला दीक्षित की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार के समय में साल 2006 के दौरान शाहजहांनाबाद रिडेवलपमेंट कोरपोरेशन (एसआरडीसी) का गठन किया गया। इसके गठन का मकसद ही शाहजहांनाबाद एरिया को पुनर्जीवित करना था। लेकिन योजना इतिहास के पन्नों की तरह ही धूंधली होती रही। साल 2011 में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने यहां पर बैट्री बसें और ई-रिक्शा चलाने के सपने दिखाए तो दिल्ली के तत्कालीन एलजी नजीब जंग के समय ट्राम चलाने को लेकर सिर्फ खबरों में सूर्खियां बटोरी गईं। 

संवरेगा शाहजहांनाबाद का दिल चांदनी चौक
एसआरडीसी ने एक बार फिर से शाहजहांनाबाद के दिल चांदनी चौक को संवारने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। जानकारी के मुताबिक सीसीटीवी से लैस करने का साथ ही लाल किले से लेकर फहतेहपुरी के बीच एक किमी की सडक़ का सौदर्यीकरण किया जाएगा। इस पर 65 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा शाहजहांनाबाद की सबसे महत्वूपर्ण सडक़ को चार लेन में बांटा जाएगा। जहां ट्रैफिक जाम की समस्या को दूर करने के लिए दिन में वाहनों की नो-एंट्री होगी। 1500 कारों की पार्किंग भी बनाई जाएगी।

इको-फ्रैंडली चांदनी चौक
योजना के मुताबिक चांदनी चौक को पूरी तरह से इको-फ्रैंडली बनाया जाएगा। इसे हकीकत में तब्दील करने के लिए इलेक्ट्रिक ट्राम चलाने, रिक्शा स्टैंड बनाने, साइकिल पार्किंग, विभिन्न जगहों पर नए पेड़ लगाने, सेंट्रल वर्ज की चौड़ाई बढ़ाकर 3.5 मीटर करने की योजना है।

विदेश की तर्ज बैठ सकेंगे सडक़ों किनारे
चांदनी चौक रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की मानें तो वो दिन दूर नहीं है जब विदेशों की तर्ज पर चांदनी चौक में भी सडक़ों के किनारे बेंच व फर्नीचर पर बैठकर लुत्फ उठा सकेंगे। एसआरडीसी ने सडक़ों के दोनों साइड डिजाइनर बेंच व फर्नीचर लगाने की योजना तैयार की है जिसे प्रोजेक्ट में भी शामिल किया गया है। प्रोजेक्ट के पूरा के होने के बाद फुटपाथ पर भी अतिक्रमण की कोई गुंजाइस नहीं बचेगी। स्वच्छता बनाए रखने के लिए सेंट्रल वर्ज में हाइटेक व लेटेस्ट मॉडल के टॉयलेट ब्लॉक्स बनाए जाएंगे।

सभी तारों को किया जाएगा अंडरग्राउंड
पुराने लूक में ढ़ालने के लिए चांदनी चौक में से गुजरने वाली हर तार चाहे वह बिजली की हो या फोन की, सभी को अंडरग्राउंड किया जाएगा। सडक़ों के बीच से भी किसी प्रकार के तार को ले जाने की इजाजत नहीं होगी। यहां तक कि बिजली के ट्रांसफरों को भी फुटपाथ या सेंट्रल वर्ज पर शिफ्ट किया जाएगा। सडक़ों को और दोनों साइड को फ्री रखने के लिए पुलिस चौकी भी सेंट्रल वर्ज पर ही बनाई जाएगी।


शुरू हो चुका है प्रोजेक्ट पर काम
फिलहाल चांदनी चौक को उसके पुराने स्वरूप को नए अंदाज में ढ़ालने के लिए काम शुरू किया जा चुका है। काम दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग की देखरेख में चल रहा है जिसकी निगरानी हाईकोर्ट भी कर रहा है। इस प्रोजेक्ट में नॉर्थ एमसीडी, दिल्ली पुलिस, बीएसईएस यमुना, दिल्ली जल बोर्ड, आईजीएल,एमटीएनएल समेत कई एजेंसियों का अहम सहयोग है। एसआरडीसी के मुताबिक 2019 में प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद है जबकि हाईकोर्ट ने मार्च 2019 तक काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। शाहजहांनाबाद वाली दिल्ली के उजड़ते-संवरते स्वरूप पर कवि रामावतार त्यागी की पंक्तियां सटीक बैठती है कि:

मैं दिल्ली हूं मैंने कितनी, रंगीन बहारें देखी हैं ।
अपने आंगन में सपनों की, हर ओर कतारें देखीं हैं।
मुझको सौ बार उजाड़ा है, सौ बार बसाया है मुझको ।
अक्सर भूचालों ने आकर, हर बार सजाया है मुझको।

- राजेश रंजन सिंह

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