Sunday, 13 January 2019

प्रदूषित हो रहे संजय लेक को बचाए डीडीए

11 Jan 2019 Punjab Kesari


स्थिति सुधार कर एक माह में रिपोर्ट पेश करे डीडीए
त्रिलोकपुरी स्थित संजय लेक की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। लगभग 1 किलोमीटर के एरिया में फैले इस लेक में सीवेज का पानी का गिरता है। जिसके कारण यह प्रदूषित होता जा रहा है। इसका सीधा प्रभाव आसपास के वातावरण पर पड़ रह है। लिहाजा इस लेक को रिवाइव यानि पुनर्जीवित करने की दिशा में कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसी अपील के साथ एनजीटी को एक लेटर के जरिए जानकारी दी गई। इस लेटर के जरिए लगाए गए आरोपों को एनजीटी ने याचिका के तौर पर स्वीकृति देते हुए सुनवाई की।

प्रदूषित हो रहा लेक और वातावरण
इस संबंध में मामले की सुनवाई कर रही एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। डीडीए को एनजीटी ने संजय लेक को पुनर्जीवित करने के लिए एक माह का समय दिया है। एक माह के बाद इस संबंध में डीडीए से एनजीटी के समक्ष एक रिपोर्ट भी पेश करने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि बीके बंसल नाम के शख्स की ओर से एनजीटी को पोस्ट द्वारा एक लेटर भेजकर संजय लेक के प्रदूषित होने की जानकारी दी गई थी।
ईस्ट दिल्ली के त्रिलोकपुरी में स्थित संजय लेक बारिश के पानी से रिचार्ज होता है। लेकिन बीते कुछ सालों से इसमें सीवेज का गंदा पानी भी गिरता है। जिसके कारण इसकी स्थिति काफी बिगड़ चुकी है। इससे पहले भी कई बार लोकल एजेंसियों ने भी इसे पुनर्जीवित करने की दिशा में काम किया लेकिन सफलता नहीं मिली। 

गिरते वाटर लेवल के लिए डीडीए जिम्मेदार
एनजीटी के समक्ष पहले भी कई मामलों में डीडीए को गिरते ग्राउंड वाटर के जिम्मेदार ठहराया जा चुका है। वाटर बॉडीज से ही संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि दिल्ली के विकास ने ही दिल्ली का विनाश कर दिया है। इसमें सबसे अहम भूमिका डीडीए की रही है। डीडीए ने राजधानी के ग्राउंड वाटर लेवल (भूजल स्तर) को गिराने में कोई कसर ही नहीं छोड़ी। एनजीटी के समक्ष दी गई एक जानकारी के मुताबिक डीडीए ने लगभग 932 एकड़ के वाटर बॉडी एरिया का कमर्शियल तौर पर लैंडयूज ही बदल दिया और उन जगहों पर कंस्ट्रक्शन कराई गई जिसके फलस्वरूप वर्तमान में दिल्ली का ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से नीचे जा रहा है। दिल्ली सरकार और निगमों ने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी है। यह जानकारी एनजीटी में चल रहे वाटर बॉडीज के एक मामले में याचिकाकर्ता की ओर से दी गई थी।

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बवाना इंडस्ट्रीयल एरिया में नहीं रूक रहा अवैध बोरवेल
अवैध बोरवेल और गिरते वाटर लेवल पर एनजीटी ने फिर से चिंता जाहिर की है। एक मामले की सुनवाई के दौरान एनजीटी ने अवैध बोरवेल और अवैध निर्माणों को लेकर डीपीसीसी को कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है। याचिककाकर्ता की ओर से एनजीटी के समक्ष जानकारी दी गई कि बाहरी दिल्ली के नरेला-बवाना इंडस्ट्रीयल एरिया में अवैध बोरवेल, अवैध निर्माण और कचरा भी जलाया जलाया जा रहा है लेकिन लोकल एसडीएम इन मामलों में कोई कार्रवाई ही नहीं कर रहे। बता दें कि गत वर्ष 13 जुलाई को एनजीटी ने निर्देश जारी किया था कि उसके अगले आदेश तक किसी भी प्रकार से ग्राउंड वाटर की निकासी न हो।


- राजेश रंज​न सिंह
साभार: पंजाब केसरी

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