Thursday, 10 January 2019

झरोखों से देखें राजपूती शान

Hawa Mahal
हते हैं कि राजपूती शान खुली खिड़कियों से देखने का शौक हो तो हवा महल जरूर देखना चाहिए। जी हां, वही हवा महल जिसे सवाई प्रताप सिंह द्वारा सन 1799 में बनवाया गया था। हवा महल को जयपुर सिटी की पहचान भी कहा जाता है। 
हवा महल के इतिहास की जानकारी देता बोर्ड


वास्तुकार लाल चंद उस्ता ने हवा महल को राजमुकुट की तरह डिजाइन किया था। पांच-मंजिलों वाली यह इमारत ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है लेकिन बाहर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देती है। जानकारी के मुताबिक इसमें 953 बेहद खूबसूरत, रंगीन और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार झरोखे यानि खिड़कियां हैं। कहा जाता है कि इन खिडकियों को जालीदार इसलिए बनाया गया था ताकि राजघराने की महिलाएं इन झरोखों से महल के नीचे सडकों के समारोह व गलियारों में होने वाली रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियों को देख सकें। 




चूने, लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से हवा महल का निर्माण कराया गया था। हवा महल को सिटी पैलेस का ही हिस्सा कहा जाता है। साल 2005 में हवामहल के जीर्णोद्धार की शुरूआत करते हुए महल की भीतरी टूट-फूट और रंग-रोगन के साथ हवामहल की दीवार पर भी नया गेरूंआ रंग किया गया।




हवा महल के भीतर ही एक म्यूजियम भी जहां पर ऐंटिक मूर्तियां रखी गई हैं। 

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