दिल्ली सरकार उन फ्लाइओवरों की लिस्ट पेश करे जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाए गए हैं
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने को लेकर एनजीटी ने दिल्ली सरकार से रिपोर्ट तलब की है। साथ ही इस मामले में आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह उन फ्लाईओवरों की संख्या पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करे जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है। यह रिपोर्ट आगामी तीन सप्ताह के भीतर पेश करने का निर्देश एनजीटी ने दिया है।एक याचिका पर सुनवाई के दौरान एनजीटी के एक्टिंग चेयरपर्सन जस्टिस यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह निर्देश दिया है। इससे पहले दिल्ली सरकार के वकील की ओर से रिपोर्ट पेश करने के लिए और समय की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान बेंच ने दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग से यह भी पूछा कि क्या उसने नए अनुबंधों के तहत इस हार्वेस्टिंग सिस्टम को आवश्यक बनाया है। इस मामले में अगली सुनवाई आठ मार्च को होगी।
इससे पहले बीते माह भी ऐसे ही एक मामले में एनजीटी ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि एनजीटी के निर्देशों के बाद भी स्कूल व कॉलेज कैंपसों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम इंस्टॉल नहीं किया जा सका है। एनजीटी एक्टिंग चेयरपर्सन जस्टिस यूडी साल्वी के बेंच ने इसी मामले में पीडब्ल्यूडी, डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन, सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी (सीजीडब्ल्यूए), दिल्ली जल बोर्ड समेत संबंधित एजेंसियों को नोटिस जारी 20 मार्च से पहले जवाब तलब किया है।
बता दें कि 16 नवंबर 2018 को महेश चंद्र सक्सेना ने एक याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर एनजीटी ने दिल्ली के सभी प्राइवेट और सरकारी -कॉलेजो को निर्देश दिया था कि वे आगामी दो माह के भीतर ही कैंपस में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएं। दी गई के अवधि के बाद जिस स्कूल या कॉलेज में वाटर हार्वेस्टिंग नहीं पाया गया तो उस पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। एनजीटी ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी का भी गठन किया था। कहा गया था कि यह कमेटी समय-समय पर वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगा कि नहीं, इसकी जांच करेगी। इस कमेटी में दिल्ली सरकार, दिल्ली जल बोर्ड, डीपीसीसी, सीपीसीबी के साथ -साथ शिक्षा विभाग के भी अधिकारियों को शामिल किया गया है। एनजीटी के तत्कालीन चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच ने यह आदेश जारी किया था। अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि किसी भी सरकारी विभाग, शैक्षणिक संस्थाओं और रेजिडेंशियल सोसाइटियों ने न तो इंस्टॉल किया है और जहां पर इंस्टॉल भी हैं, वह सुचारू रूप से काम नहीं कर रहे।
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