Friday 2 February 2018

किसानों ने बजट को बताया जुमला


मंडी के आढ़तियों ने कहा, योजना लागू करना होगा टेढ़ी खीर

मोदी सरकार के अंतिम फुल बजट में किसानों और मंडी को लेकर ढ़ेर सारी घोषणाएं की गई हैं। सरकार ने कृषि मंडी व्यवस्था में सुधार के लिए 2,000 करोड़ रुपए के कोष की व्यवस्था की घोषणा की है। जिससे अव्यवस्थाओं से बदहाल देश की मंडियों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। वहीं, बजट में ग्रामीण कृषि बाजारों का विकास करने की भी घोषणा के साथ ही वित्त मंत्री अरूण जेटली ने ऐलान किया कि देश भर में किसानों के लिए ई-नैम ग्रामीण बाजार बनाए जाएंगे। इसका मकसद किसानों को भी डिजिटल बनाना है। इन विषयों पर दिल्ली देहात के किसानों व एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में शुमार आजादपुर मंडी के आढ़तियों ने इस बजट को पूरी तरह से जुमला करार दिया है। किसानों का कहना है कि नीतियां व योजनाएं वातानुकुलित कमरों मे बैठकर बनाई जाती हैं। इसलिए बजट का जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना ही नहीं है।



लोगों की प्रतिक्रियाएं
बजट में सरकारी घोषणाएं हमेशा ही अच्छी होती हैं। इस बार के बजट में भी वादे तो कर दिए गए लेकिन उन घोषणाओं पर कितना अमल होता है, यह जल्द पता लगेगा।
बजट में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सरकार को चाहिए था कि वह खेतों में जाकर खेतों में काम कर रहे किसानों व बटाईदारों के अनुभवों को जानते। इसी आधार पर लागत का आंकलन कर बजट में किसानों के लिए बातें करते। बिचौलियों से मिलकर खानापूर्ति करके फर्जी आंकलन कर  लागत व भाव तय कर लिए गए। बिजली, पानी , खाद, बीज की समय पर उपलब्धता व अनुकूल- प्रतिकूल मौसम फसल की पैदावार व गुणवत्ता तय करती है। एक-एक दिन व एक एक किलोमीटर पर यह बदलाव देखने को मिलता है। लेकिन इनकी अनदेखी की गई।
सुरेश कुमार छिल्लर, अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन दिल्ली प्रदेश 

आम बजट मे किसानों के बारे में की गई घोषणाएं व स्वामीनाथन आयोग का जिक्र करके किसानों को लुभाने का प्रयास किया गया है। कुल मिलाकर यह लोकलुभावन जुमला प्रतीत होता है। अब तक सरकारें चाहे किसी भी दल की रही हों किसान मजदूरों व छोटे दुकानदारों का भला नहीं कर पाई हैं। इसका कारण यह है कि इनके लिए नीतियां व योजनाएं बनाने वाले वातानुकुलित कमरों मे बैठकर व फर्जी आंकडो को आधार बनाकर आंकड़ेंबाज नीतियां व योजनाएं बनाते हैं। जिस दिन धरातलीय किसान नीतियां व योजनाएं बनाने मे साझीदार होने लगेंगे, उस दिन से किसानों, मजदूरों व छोटे दुकानदारों का भला होना शुरू हो जाएगा।
बिजेन्द्र, कोटला, दिल्ली 

बजट में आलू, प्याज और टमाटर के दामों में उतार-चढ़ाव की समस्या से निपटने के लिए बेशक ऑपरेशन ग्रीन लॉन्च किया गया है। लेकिन इस ऑपरेशन का इस पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकार को दूसरे उपायों पर विचार करना चाहिए था।
राजीव, टमाटर आढ़ती, आजदपुर मंडी

हर साल बजट में घोषणाएं ही की जाती हैं। इसका सीधा असर तो कभी नहीं दिखता। मंडी व्यापारियों को बजट से कभी कोई फायदा नहीं होता।
भगत, आलू व्यापारी, आजादपुर मंडी


साभार: पंजाब केसरी

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