क्षतिपूर्ति के लिए लगाए जाने वाले पौधों के लिए द्वारका में नहीं मिली उपयुक्त जगह
डीएमआईसीडीसी ने कहा, जल्द लिया जाए मामले फैसला
दिल्ली सरकार पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करने में असमर्थ है। यह तर्क सरकार की ओर से एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया जिसमें ट्रांसप्लांटेशन करने की मांग की गई थी। सरकार ने यह जवाब द्वारका में प्रस्तावित इंटरनेशनल एग्जिीबिशन कम कंवेंशन सेंटर मामले में दिया है। याचिककर्ता की ओर से मांग की गई थी कि इंटरनेशनल एग्जिीबिशन कम कंवेंशन सेंटर बनाने के लिए पेड़ों को काटा न जाए बल्कि इनका ट्रांसप्लांटेशन किया जाए। इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यहां पर पेड़ सीधे नहीं बल्कि आढ़े-तिरछे हैं। इस तर्क के साथ ही दिल्ली सरकार ने याचिककर्ता की मांग को मानने से इंकार कर दिया।वहीं, याचिकाकर्ता द्वारा क्षतिपूर्ति के लिए लगाए जाने वाले पौधे द्वारका क्षेत्र में ही लगने चाहिए, के जवाब में सरकार ने कहा कि हमें कोई और उपयुक्त जगह नहीं मिली लिहाजा यमुना किनारे लगाने की योजना बनाई गई है। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि द्वारका में बहुत सी उपयुक्त जगहें मौजूद हैं। इसलिए फिर से यहीं लगाने की व्यवस्था पर विचार किया जाए। अब इस मामले में अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
वहीं, जस्टिस राघवेंद्र एस राठौड़ व एक्सपर्ट मेंबर डॉ. सत्यवान सिंह गरब्याल की बेंच के समक्ष दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कोरपोरेशन लिमिटेड (डीएमआईसीडीसी) ने कहा कि मामले में जल्द से जल्द फैसला लिया जाए क्योंकि पहले ही उद्घाटन में देरी हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक एशिया महाद्वीप के सबसे बड़े इंटरनेशनल एग्जिीबिशन कम कंवेंशन सेंटर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाना है। गौरतलब है कि द्वारका सबसिटी में एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एग्जिीबिशन कम कंवेंशन सेंटर बनाए जाने की योजना है। इसके लिए प्रोजेक्ट के लिए प्रस्तावित जगह पर 1961 पेड़ों को काटे जाने हैं। इसी मामले को लेकर एक याचिका एनजीटी में दाखिल की गई थी।
साभार: पंजाब केसरी
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