Sunday 4 February 2018

न माली न चौकीदार, कैसे होगी स्मारकों की सुरक्षा

एएसआई के 100 स्मारकों के विकास की घोषणा
ऐतिहासिक धरोहरों की भी बदल सकती है दशा 

राजधानी में मौजूद सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक धरोहर, देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी किसी परिचय के मोहताज नहीं है। लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते सालों से अपने वजूद को बचाने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि कुछ गिने-चुने स्मारकों को छोड़कर लगभग सभी स्मारक और धरोहर धूल फांक रहे हैं। विभाग के पास कर्मचारियों और अधिकारियों का ऐसा टोटा है कि दिल्ली के बाहरी और पश्चिमी हिस्से में मौजूद बादली की सराय, बवाना का ऐतिहासिक जेल, द्वारका बावली आदि के पास न तो किसी की नियुक्ति की गई है और न ही इन धरोहरों के बारे में अधिकारियों को पता है। इन जगहों पर न माली है न चौकीदार और न ही स्मारक अटेंडेट। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं ​कि कैसे होगी सुरक्षा और कैसे होगा स्मारकों का विकास?
लेकिन मोदी सरकार के अंतिम फुल बजट में हुई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के स्मारकों को संवारने की घोषणा के साथ ही इनकी उम्मीदें भी जाग उठी हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार के इस कदम से पुरातत्व विभाग की दशा भी बदलने की उम्मीद की जा रही है। बता दें कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में घोषणा की कि सरकार एएसआई के तहत आने वाले 100 आदर्श स्मारकों समेत दूसरी धरोहरों को नए सिरे से विकसित करेगी।
Badli ki Sarai, sarai Pipalthala (Adarsh Nagar)
धरोहरों की हिफाजत के लिए कर्मचारियों का टोटा
राष्ट्रीय महत्व के धरोहरों को सहेजने और उनके संरक्षण की जिम्मदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सौंपी गई है। प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 और पुरातत्व तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम के अंतर्गत के अंतर्गत यह विभाग तमाम धरोहरों की देखरेख करता है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली मंडल के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व के धरोहरों की संख्या 174 है। लेकिन विभाग के पास इनकी हिफाजत के लिए धरोहरों की संख्या जितने भी कर्मचारी नहीं। जबकि एक धरोहर की पर्याप्त देखभाल और संरक्षण के लिए कम से कम एक इंचार्ज के अलावा अन्य 10 कर्मचारी होने चाहिए जिनमें माली, चौकीदार, सफाई कर्मचारी का होना अनिवार्य है।
बजट से नई उम्मीद
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के दिल्ली मंडल में कर्मचारियों के साथ-साथ अधिकारियों की कमी भी बनी हुई है। सूत्रों के मुताबिक संबंधित विभाग को वर्षों से खाली पड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए सरकार की ओर से मंजूरी न मिल पाने के कारण विभाग धरोहरों के संरक्षण में अक्षम था। लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि सरकार का यह बजट इन कमियों को दूर करेगी और धरोहरों का संरक्षण बेहतर तौर पर हो सकेगा।

No comments:

Post a Comment